Samajwadi Party National Executive Member: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी अब मिशन 2024 में जुट गई है. पार्टी की ओर से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई है. कुल 64 सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं, जिनमें 16 को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की टीम में सवर्ण समाज पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं. ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) का ट्वीट चर्चा में है. इस ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिखा गया, लेकिन ट्वीट की टाइमिंग को लेकर चर्चाएं जोरों पर है. रात 1:00 बजे के आसपास यह ट्वीट किया गया है. यानी समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट आने और उसमें दो संशोधन होने के बाद यह ट्वीट किया गया है और यह ट्वीट किया है.
ओम प्रकाश सिंह ने वैसे तो ट्वीट में कुछ भी नहीं कहा, लेकिन बिना कहे भी उन्होंने वह सब कुछ कह दिया, जो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट सामने आने के बाद सुगबुगाहट है. हालांकि पार्टी के नेताओं का साफ तौर पर कहना है कि पार्टी में तमाम नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. इसका किसी जातीय बिरादरी से कुछ भी लेना देना नहीं है.
स्वर्ण नेताओं को नहीं किया शामिल
दरअसल 29 जनवरी को समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की गई. इसमें 16 राष्ट्रीय महासचिव समेत कुल 64 लोग शामिल हैं, लेकिन एक चौथाई महासचिव में से किसी भी अगड़ी जाति के नेता को पार्टी ने जगह नहीं दी. इसमें यादव बिरादरी के, अल्पसंख्यक समाज के, साथ ही साथ अन्य पिछड़े समाज के नेता को भी शामिल किया गया है. दूसरे दलों को छोड़कर आने वाले हाल ही में सपाई हुए नेताओं के भी नाम दिख जाएंगे लेकिन पार्टी के स्वर्ण समाज के किसी भी नेता को अखिलेश यादव की टीम 16 में जगह नहीं मिल पाई. यही वजह है कि अब समाजवादी पार्टी पर तमाम आरोप लग रहे हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि 64 सदस्यों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्वर्ण समाज के लोगों को शामिल नहीं किया गया है. तकरीबन 10 लोगों को इसमें जगह दी गई है, लेकिन किसी को भी राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. किसी को कार्यकारिणी का सदस्य, राष्ट्रीय महासचिव कोई नहीं बन पाया, इसीलिए अब पार्टी के भीतर भी इसे लेकर नेता सवाल खड़े कर रहे हैं
जाहिर है यूपी में लोकसभा की 80 सीटों को जीतने के लिए अखिलेश यादव ने अपनी जो टीम तैयार की है उसके जरिए वह यह संदेश भी देने में जुटे हैं कि पार्टी में ना केवल यादव बल्कि नॉन यादव ओबीसी को भी अहमियत दी गई है. इसके अलावा अल्पसंख्यक बिरादरी से आने वाले नेताओं को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. जबकि लगभग 10 स्वर्ण समाज के नेताओं को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अलग-अलग पदों पर जिम्मेदारी दिया गया.
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