Aligarh News: अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम एक बार फिर अपने बयानो के कारण चर्चाओं में हैं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रबंधन पर हिंदू छात्रों के साथ भेदभाव के आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि, हिंदू छात्रों के जब भी एडमिशन होते हैं तो उनको मल्लामपुरम व बाहर के सेंटरों पर भेज दिया जाता है, जिससे हिंदू छात्र अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके. तीसरी बार सांसद बनने का श्रेय सतीश गौतम ने हिंदुओं को दिया है.


सांसद सतीश गौतम ने अलीगढ़ के विधानसभा खैर के जट्टारी में सीएम योगी आदित्यनाथ के आगमन से पहले  हिंदुओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा, एएमयू को लेकर कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) का एक आदेश आया तो विश्वविद्यालय के अंदर कुछ लोगों ने मिठाईया बांटी ,साथ ही ढोल नगाड़े भी बजाए. ये लोग सोचने लगे कि अब इस विश्वविद्यालय में सिर्फ अल्पसंख्यकों के बच्चे पढ़ेंगे, लेकिन में उनको बतादूँ अभी विश्वविद्यालय को लेकर कोई पूरा निर्णय नहीं आया. अभी तो पूरे मामले को कोर्ट ने तीन सदस्यीय जजों की बेंच के लिए भेजा  है. यह विश्वविद्यालय केंद्र के पैसे से चलने वाली यूनिवर्सिटी है. इसलिए यह अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी हो ही नहीं सकती.


हिंदुओं की बदौलत तीसरी बना सांसद- सतीश गौतम
सांसद ने साफ शब्दों में कहा, कि कांग्रेस के एक नेता ने पत्र पर लिखकर के इसे अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी माना था, लेकिन अब मोदी की सरकार में यहां गरीब वर्ग के बच्चों को बराबर का आरक्षण मिलेगा. उन्होंने बगैर नाम लिए कहा कि मुझे इनका वोट नहीं चाहिए. मैं सीना तानकर कहता चाहता हूं कि हिंदुओं की बदौलत तीसरी बार सांसद चुना गया हूं. चौथी बार भी इन्हीं लोगों की बदौलत सांसद बनूंगा. जिस दिन मेरे अनुसूचित जाति के बच्चे एएमयू में पढ़ने जाएंगे. जिस दिन हम 50 प्रतिशत का लाभ एएमयू ने ले लेंगे, उस दिन शान से एएमयू में तिरंगा लहराएगा.


वहीं सांसद के बयान पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ  छात्र नेता जानिब हसन ने खंडन करते हुए कहा, सांसद एएमयू में अल्पसंख्यक दर्जे को बहाल होने वाले दिन पर सही से नजर डाल पाए. उस दिन तिरंगे को ही शान से फहराया गया था,लेकिन सांसद को छात्रों का देश प्रेम नजर नहीं आता उनको सिर्फ विश्वविद्यालय को लेकर सस्ती लोकप्रियता चाहिए. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कोई भेदभाव नही होता. यहां हिन्दू-मुस्लिम मिलकर रहते है,एक साथ दूसरे के गले मिलते है लेकिन सांसद इस यूनिवर्सिटी को राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहते है जो काबिले बर्दाश्त है.


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