UP Politics: अपना दल (एस) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखने की वजह बताई है. मीरजापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 69 हजार शिक्षकों की भर्तियों का मुद्दा था. मैं यह मुद्दा लंबे समय से राज्य सरकार सामने उठा रही थी. मैंने इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष भी उठाया था. साल 2022 के चुनाव के बाद योगी सरकार ने इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया. लोग 2 साल से आंदोलित थे. लोगों के दिल में इसको लेकर दर्द था. इन सबके बीच अगर कोई विपक्षी दल आए और वह लोगों के मन में यह सवाल पैदा करे कि अगर दोबारा एनडीए को सत्ता मिली तो आरक्षण खत्म हो जाएगा.


पटेल ने कहा कि मेरा मानना है कि हम यहीं पिछड़े. मैं सरकार का हिस्सा हूं. मेरी पार्टी का मानना है कि अगर आप किसी गठबंधन का हिस्सा है तो आपको मुद्दे उचित फोरम पर रखने चाहिए. मैंने यह मुद्दा पीएम, गृह मंत्री और सीएम के समक्ष उठाया. हमारी कई कोशिशों के बाद भी मुद्दे का निराकरण नहीं हुआ. आश्वासन के बाद भी जब इसका समाधान नहीं हुआ तब चिट्ठी लिखनी पड़ी.


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'जब मामला फंसा तो...'
अपना दल नेता ने कहा कि एक गठबंधन के रूप में मेरा दायित्व यही था कि बंद कमरे में मुद्दा उठाऊं. इसी वजह से और सीटें इसमें जोड़ीं गईं. लेकिन फिर ये मसला कोर्ट में फंस गया. कोर्ट में जब मसला फंसा तो राज्य सरकार का दायित्व था कि इसका समाधान हो. 2024 के पहले लोगों के मन में यह भय था कि आप हमारे लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. जब इसके परिणाम आए तो वह सुखद नहीं रहे. तब मुझे कहना पड़ा और आपको इसका संज्ञान लेना पड़ेगा.


समाचार एजेंसी ANI को दिए साक्षात्कार में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि विपक्ष ने आम चुनाव में इसका फायदा उठाया. यह सच है कि हम तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहे लेकिन 2022 के चुनाव के बाद इस मुद्दे का समाधान न होने की वजह से हमारे लोकसभा चुनाव पर असर पड़ा. यह सरकार का नैतिक दायित्व है कि वह उनके मुद्दों का समाधान करे. मैं कमजोरों की आवाज हूं ऐसे में मैं चुप नहीं रह सकती है. सपा के आरोपों पर अनुप्रिया ने कहा कि मेरे आलोचकों से मुझे उम्मीद नहीं है कि वह मेरी तारीफ करेंगे. मैं लोगों के दिल में हूं.