UP Politics: उत्तर प्रदेश स्थित सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के महासचिव और यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान के जेल से आये एक संदेश ने यूपी में मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वालो के बीच एक नये राजनितिक समीकरणों के अध्याय की शुरुआत की तरफ इशारा कर दिया है. समाजवादी पार्टी की रामपुर इकाई के जिला अध्यक्ष अजय सागर ने एक पत्र जारी कर लिखा है कि ये मो. आजम खान का जेल से संदेश है.
इसमे उन्होंने कहा है कि "समाजवादी पार्टी रामपुर में हुऐ जुल्म और बर्बादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं जितना सम्भल का क्योंकि रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही सम्भल पर आक्रमण हुआ है. रामपुर की बर्बादी पर इण्डिया गठबंधन खामोश तमाशायी बना रहा और मुसलिम लीडरशिप को मिटाने पर काम करता रहा. इण्डिया ब्लॉक को अपनी स्थिति स्पष्ट करना होगी अन्यथा मुसलमानों के हालात और भविष्य पर विचार करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा. मुसलमानों पर होने वाले हमलों और उनकी मोजूदा स्थिति पर तथा अपनी नीति पर खुलकर स्थिति स्पष्ट करें. यदि मुसलमानों के वोट का कोई अर्थ ही नही है और उनके वोट का अधिकार उनकी नस्लकुशी करा रहा है तो उन्हें विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उनके वोट के अधिकार को रहना चाहिए या नही .बेसहारा, अलग-थलग और अकेला खाक व खून में नहाया हुआ अधिकार, इबादत गाहों को विवादित बनाकर समाप्त करना इत्यादि, केवल साजिश करने वालो, षड्यन्त्र रचने वालों तथा दिखावे के हमदर्दी के लिये देश की दूसरी आबादी को बर्बाद एवं नेस्तोंनाबूद नहीं किया जा सकता.'
चिट्ठी से मची खलबली
जिला अध्यक्ष की तरफ से आजम खान के नाम से जारी किए गये इस संदेश से समाजवादी पार्टी में खलबली मचना लाजमी है क्यूंकि आजम खान अगर ये कह रहे हैं कि तरह समाजवादी पार्टी को रामपुर मुद्दा भी संभल मुद्दे की तरह संसद में मजबूती से उठाना चाहिए था तो इसका मतलब साफ है की आजम खान ये कहना चाहते हैं की समाजवादी पार्टी उनके मामले में सुस्त रही है और अगर आजम खान ऐसा कह रहे हैं तो क्या इसके पीछे पिछले दिनों नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजम खान और उनके परिवार से हुई तीन मुलाकातें बड़ी वजह हैं ?
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सूत्रों के मुताबिक आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद और आजम खान और उनके परिवार के बीच जो मुलाकाते हुई हैं उस से कयास लगाये जा रहे हैं की आजम खान और चंद्रशेखर आजाद 2027 में यूपी में मुस्लिम और दलित गठजोड़ की संभावनाएं देख रहे हैं. चंद्रशेखर आजाद को अगर आजम खान का साथ मिल जाता है तो 30 -40 सीटों पर वह असर डाल सकते हैं लेकिन ये इतना आसन भी नहीं है क्यूंकि आजम खान पुराने दिग्गज नेता हैं और उनकी राजनितिक चालें समझ पाना आसान नहीं है.
आजम खान इस से पहले भी सपा में अपनी नाराजगी समय समय पर जाहिर करते रहे हैं और पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखाया लेकिन वह किसी अन्य दल में शामिल नहीं हुए और सपा में पूरे सम्मान के साथ वह वापस आये और कहा ये भी जाता है की सपा में आजम खान जो चाहते हैं वही होता भी है. लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है इसलिए कौन कब किस से नाराज हो जाये और किस से राजी हो जाये ये सब परिस्तिथियों पर निर्भर करता है. फिलहाल सपा जिला अध्यक्ष की तरफ से आजम खान का जो संदेश दिया गया है उस से राजनितिक चर्चाएं शुरू हो गयी हैं.