UP Politics: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान को लेकर आपत्ति जाहिर की है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो का समर्थन किया है. राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे के बीच कहा है कि जब भारत में आरक्षण को लेकर निष्पक्षता होगी तो हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे. अब इस पर मायावती ने आपत्ति जाहिर की. इसके बाद बीजेपी सांसद बृजलाल ने कहा है कि मायावती बिल्कुल सही कह रहीं हैं. कांग्रेस हमेशा से आरक्षण विरोधी रही हैं.


उन्होंने दावा किया कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तो आरक्षण खत्म करने के लिए बाकायदा मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था. बीजेपी सांसद ने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में आरक्षण खत्म करने का भ्रम फैलाकर कांग्रेस ने कुछ सीटें जीत ली हैं लेकिन काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती.


मायावती ने क्या कहा था?
बसपा चीफ मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था कि केन्द्र में काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है. इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी. अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा श्री राहुल गांधी के इस नाटक से भी सर्तक रहें जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहत्तर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे.


मायावती ने कहा था कि इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है.इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता राहुल गाँधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केन्द्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी. 


'लोग सावधन रहें...'
मायावती ने कहा था कि ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें. जबकि सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है. केन्द्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इन्साफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. लोग सावधन रहें.


बसपा नेता ने कहा था कि कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है. अतः जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी है.


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