UP Politics: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने का एलान कर कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी बताने वाली बीजेपी अब पूर्व सांसद फिरोज गांधी के सम्मान के बहाने नेहरू गांधी परिवार पर निशाना साधने की तैयारी में है. बीजेपी ने अपने इस दांव के जरिए राहुल और प्रियंका गांधी को उनके घर में ही घेरने की रणनीति बनाई है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के इस मास्टर स्ट्रोक का केंद्र बिंदु नेहरू गांधी परिवार का पैतृक शहर संगम नगरी प्रयागराज होगा.


बीजेपी के नेता यहां फिरोज गांधी की कब्र पर फूल चढ़ाकर यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि राहुल और प्रियंका ने भले ही अपने दादा को भुला दिया हो, लेकिन मोदी और अमित शाह की पार्टी उनकी मौत के छह दशक बाद उनके यानी फिरोज गांधी की शख्सियत के साथ इंसाफ कर उन्हे उचित सम्मान देगी. 


राहुल और प्रियंका के परिवार में गांधी सरनेम 1942 में सबसे पहले उनके दादा फिरोज को मिला था. फिरोज का ही गांधी सरनेम सोनिया - राहुल और प्रियंका आज भी इस्तेमाल कर रहे हैं. यह अलग बात है कि फिरोज का गांधी सरनेम इस्तेमाल करने के बावजूद एक मौके को छोड़कर राहुल - प्रियंका और उनके पूर्वज प्रयागराज के ममफोर्डगंज में स्थित उनकी कब्र पर कभी फूल चढ़ाने या मोमबत्ती जलाने के लिए नहीं पहुंचे.


60 साल बाद कांग्रेस में दोहराया गया इतिहास, 72 साल में केवल दूसरी बार हुआ ऐसा, यूपी से रहा है खास कनेक्शन


इतना ही नहीं नेहरू गांधी परिवार कभी न तो फिरोज गांधी की चर्चा करता है और न ही उनके साथ नाम जोड़े रखने की कोशिश करता है. फिरोज गांधी का नाम उनकी मौत के छह दशक बाद सामने लाकर बीजेपी यह मैसेज देने की कोशिश में हैं कि जो राहुल - प्रियंका और उनकी कांग्रेस पार्टी फिरोज को भुला सकती है, उनकी अनदेखी कर सकती है, वह देश और वहां रहने वाले लोगों की कभी हमदर्द नहीं हो सकती. 


बड़ा गेम प्लान तैयार
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक फिरोज गांधी को लेकर पार्टी ने एक बड़ा गेम प्लान तैयार किया है. इसे अमल में लाए जाने की जिम्मेदारी मोदी सरकार के मंत्री और नेहरू गांधी परिवार को लेकर मुखर रहने वाले उत्तर भारत के एक फायर ब्रांड नेता को सौंपी गई है. वह जल्द ही प्रयागराज पहुंचकर यहां न सिर्फ फिरोज गांधी की कब्र पर फूल चढ़ाएंगे, बल्कि यहीं से कांग्रेस पार्टी को चलाने वाले राहुल और प्रियंका के परिवार पर निशाना भी साधेंगे. बड़े पैमाने पर इसका प्रचार प्रसार कर चुनावी माहौल में इस सियासी मुद्दे को हवा देने की भी तैयारी है. 


गौरतलब है कि पारसी धर्म के फिरोज जहांगीर छोटी उम्र में पिता की मौत के बाद मुंबई छोड़कर अपनी बुआ के पास प्रयागराज शहर आ गए. शुरुआती शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढाई उन्होंने यहीं की थी. इंदिरा गांधी ने साल 1942 में जब पारसी धर्म के फिरोज जहांगीर के साथ शादी करने का फैसला किया तो उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू इसके लिए तैयार नहीं थे. इस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रयागराज में ही अपना गांधी सरनेम फिरोज को दिया.


गांधी सरनेम मिलने के बाद ही इंदिरा और फिरोज का ब्याह 12 मार्च 1942 को प्रयागराज के आनंद भवन में हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक हुआ. फिरोज को मिले गांधी सरनेम को उनकी पत्नी इंदिरा और बेटों के साथ ही बाद में परिवार के दूसरे वंशजों ने इस्तेमाल किया. 


कहा जाता है कि फिरोज और इंदिरा ने प्रेम विवाह जरूर किया था लेकिन शादी के कुछ सालों बाद ही दोनों के रिश्तों में खटास आ गई थी. वह दो बार रायबरेली से सांसद भी चुने गए थे. 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से फिरोज गांधी का निधन हो गया था.


नेहरू परिवार ने उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक कराया, लेकिन उनकी अस्थियों को पारसी परंपरा के मुताबिक प्रयागराज के ममफोर्डगंज स्थित पारसी कब्रस्तान में दफनाया गया. प्रयागराज के इस पारसी कब्रिस्तान में फिरोज गांधी की पक्की कब्र आज भी मौजूद है. उनके तमाम रिश्तेदारों को भी यही दफनाया जाता है. 


राहुल के अलावा कोई नहीं आया...
फिरोज गांधी की इस कब्र पर पिछले 62 सालों में एक बार राहुल गांधी को छोड़ दिया जाए तो नेहरू गांधी परिवार का कोई भी सदस्य कभी यहां फूल चढ़ाने नहीं आया. अघोषित तौर पर कांग्रेस पार्टी की कमान अपने हाथ रखने वाले परिवार ने फिरोज गांधी की मौत के बाद उनकी कब्र और नाम से किस कदर दूरी बनाकर रखी हुई है, इसका अंदाजा कब्र के टूटे हुए पत्थरों और उखड़े हुए नाम को देखकर ही लगाया जा सकता है.


परिवार छोड़िए जिस फिरोज गांधी ने राहुल प्रियंका और उनके पूर्वजों को अपना गांधी सरनेम दिया, उनकी कब्र पर जन्मदिन और पुण्यतिथि पर भी कभी दर्जन भर कांग्रेसी नहीं जुटते. हालांकि सोनिया - राहुल और प्रियंका हर थोड़े दिनों पर प्रयागराज आकर यहां नेहरू गांधी परिवार के पैतृक आवास आनंद भवन में जरूर रुकते हैं.


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा को लेकर 18 फरवरी को अपने पूर्वजों के शहर प्रयागराज आ रहे हैं. वह यहां तमाम कार्यक्रमों में शामिल होंगे. उन्हें यहां दादा फिरोज गांधी की कब्र के पास से ही गुजरना है, लेकिन पारसी कब्रिस्तान जाने का कोई कार्यक्रम उनके शेड्यूल में नहीं रखा गया है. भारतीय जनता पार्टी फिरोज गांधी के नाम से बनाई गई राहुल- प्रियंका के परिवार की इसी दूरी को अब चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है. वह फिरोज गांधी के नाम से हमदर्दी जताकर राहुल और प्रियंका के परिवार पर निशाना साधना चाहती है.


हालांकि बीजेपी का फिरोज गांधी वाला दांव सियासत की शतरंजी बिसात पर कितना कारगर साबित होगा, इसका फैसला तो वक्त ही करेगा. बीजेपी ने अपने नेताओं के जरिए फिरोज गांधी की कब्र पर फूल चढ़ाने का कार्यक्रम इसी हफ्ते तय किया था, लेकिन अब इसे राहुल गांधी की न्याय यात्रा के बाद रखा जाएगा.