UP Congress President: बृजलाल खाबरी को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा छह कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. जिनमें अजय राय, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे, वीरेंद्र चौधरी, अनिल यादव (इटावा) और योगेश दीक्षित कार्यकारी अध्यक्ष होंगे.


दलित प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रांतीय अध्यक्षों में दो ब्राह्मण, दो ओबीसी, एक भूमिहार और एक मुस्लिम को जगह मिली है.
यूपी में कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक दलित–मुस्लिम–ब्राह्मण समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है. इसी हिसाब से नई टीम गठित की गई है. रोचक बात यह भी है कि "टॉप सेवन" में से चार नेता बीएसपी की पृष्ठभूमि के हैं. बीते विधानसभा चुनाव में प्रभारी प्रियंका गांधी की अगुवाई के बावजूद कांग्रेस को केवल दो सीट और दो फीसदी वोट ही मिल पाया था. चुनाव नतीजे के बाद से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली थी.


कौन हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष बृजलाल खाबरी


बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में एक तहसील है कोंच. कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गांव के रहने वाले हैं बृजलाल. बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. बात 1977 की है. खाबरी गांव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था. एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा. तब 9वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ने ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुंच गये. दरोग़ा से दमदारी के साथ बात की और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया. यहीं से वो बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये. फिर तो रोज़ाना थाने, कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते- भिड़ते दिखने लगे.


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लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी


जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे. छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे. दो बार चुनाव लड़ा लेकिन कुछ वोटों से हार गए.


‘दलित मिशन’ के लिए छोड़ दिया घर बार


इलाक़े के लोग बताते हैं कि कांशीराम जी एक बार उरई आए थे, कैडर देने. कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण. बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था. बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया. 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये. अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया.


बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के तौर पर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो. गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है. कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा. अभी तक खाबरी बिहार के राष्ट्रीय सचिव सह-इंचार्ज थे.


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