Mayawati News: लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के लिए बड़ा ख़तरा बनकर उभरी है. कांग्रेस जिस तरह से संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर आगे बढ़कर बोल रही है उससे बड़ी संख्या दलित मतदाताओं ने कांग्रेस की ओर रुख किया है. कांग्रेस की इस रणनीति को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती सावधान हो गई है और अब अपने पुराने जनाधार को बचाने में जुट गई है ताकि पार्टी एक बार फिर से मजबूत होकर खड़ी हो सके. 


लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस आरक्षण, संविधान से लेकर जातीय जनगणना के मुद्दे पर खुलकर बोल रही है जिससे कई बसपा नेताओं का आकर्षण कांग्रेस की ओर बढ़ रहा है. बसपा सुप्रीमो इस ख़तरे को भांप गई है. जिसके बाद हाल ही में उन्होंने बसपा के उन नेताओं को कड़ी चेतावनी दी जो क्रीमी लेयर और कोटे में कोटे के मुद्दे पर कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करते दिख रहे हैं. 


कांग्रेस की रणनीति ने बढ़ाई मायावती की चिंता
बसपा सुप्रीमो ने ऐसे नेताओं को चेतावनी दी है कि कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन नहीं करें, ऐसा करने वाले नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. बीते दिनों बस्ती और चित्रकूट में बसपा नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. जिससे बसपा को खासा नुक़सान हुआ है. मायावती जानती है कि अगर बसपा का दोबारा सत्ता में आ पाने की संभावना ख़त्म हो सकती है. 


एक वक्त था जब कांग्रेस का दलित वोटबैंक पर एकछत्र राज होता था. लेकिन बसपा के आने के बाद बड़ी संख्या में दलित मतदाता एकजुट होते गए और कांग्रेस की इन पर पकड़ कमजोर हो गई, इसका असर भी दिखा, यूपी में कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर बाजी पलट दी है. इस बार बड़ी संख्या में दलितों ने फिर से कांग्रेस की ओर रुख़ किया, जिसके चलते कांग्रेस यूपी की 6 लोकसभा सीटें जीत गई. 


कांग्रेस अगर दलित वोटरों को अपने साथ लाने में कामयाब रहती है तो इससे यूपी में उसका जनाधार बढ़ेगा और जो सपा के साथ सीट बंटवारे के वक्त मददगार साबित होगा.  जबकि बसपा की पकड़ और कमजोर हो जाएगी. कांग्रेस की इस चाल से मायावती सतर्क हो गई है. यहीं वजह है कि चुनाव के बाद वो काफी एक्टिव दिख रही है.


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