UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में साल 2024 में भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए अलग-अलग मायनों में महत्वपूर्ण रहा. एक ओर जहां समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में इतिहास रचा तो वहीं एक दशक बाद कांग्रेस का राज्य में सूखा खत्म हुआ. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी जो साल 2014 से लगातार 60 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर काबिज थी, उसको झटका लगा. बहुजन समाज पार्टी के लिए तमाम कोशिशों के बावजूद नतीजा सिफर रहा.
दिल्ली की सियासत का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर गुजरता है, यह बात साल 2024 में साबित कर दी. लोकसभा चुनाव के अप्रत्याशियत परिणाम में सपा ने इतिहास में सबसे ज्यादा 37 सीटें हासिल की. साल 2014 से ही 1-2 सीट के बीच झूल रही कांग्रेस के भी 6 सांसद हो गए. वहीं भारतीय जनता पार्टी के 400 पार के नारे को बड़ा झटका लगा और पार्टी सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई. राज्य में उसके सहयोगी रहे अपना दल (सोनेलाल) और रालोद ने भी क्रमशः 1 और 2 सीटों पर जीत दर्ज की.
लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने इंडिया अलायंस के तहत सीट शेयरिंग कर चुनाव लड़ा था. लोकसभा में मिली जीत से उत्साहित सपा और कांग्रेस के लिए खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी. 4 महीने के भीतर ही विधानसभा सीटों पर इलेक्शन हुए. सपा ने सभी 9 सीटों पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस कम से कम 5 सीटें मांग रही थी लेकिन सपा सिर्फ 1-2 सीटों पर राजी थी. इसके बाद पार्टी ने उपचुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया. सभी सीटों पर चुनाव लड़ते हुए सपा को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली. कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने इतिहास रचा और मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बाद भी जीत हासिल की.
सपा सिर्फ करहल और सीसामऊ बचाने में सफल रही. हालांकि साल 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले हार जीत का अंतर कम रहा. वहीं बीजेपी ने सात सीटों पर जीत दर्ज कर लोकसभा चुनाव में मिले जख्म को भरने की कोशिश की.
बसपा के लिए नतीजा सिफर...
उधर, बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा में तमाम मेहनत के बाद नतीजा सिफर रहा. बसपा फिर से 0 पर आ गई. वहीं उपचुनाव में भी बसपा के हाथ कुछ नहीं लगा. इसके उलट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया. उन्होंने उपचुनाव में भी प्रत्याशी उतारे लेकिन उसका उन्हें फायदा नहीं हुआ.
यूपी में बीजेपी के दो सहयोगी- सुभासपा और निषाद पार्टी के लिए सियासी तौर पर यह साल कुछ खास नहीं रहा. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में घोसी सीट सुभासपा को दी थी जिस पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर प्रत्याशी थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
वहीं निषाद पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने संतकबीर नगर सीट से बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे लेकिन उन्हें भी हार मिली.
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि साल 2024 यूपी की सियासत, सियासी दलों और नेताओं के लिए कभी खुशी कभी गम भरा रहा. जहां जून 2024 में सपा और कांग्रेस उत्साहित थे तो वहीं 5 महीने बाद नवंबर में बीजेपी की बल्ले-बल्ले थी.