UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार (13 जुलाई) को कहा कि जब मुगल आक्रमणकारी भारत के सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करने को 'उतावले' हो रहे थे. तब देश के गांव-गांव में रामलीला का आयोजन किया जा रहा था. यह रामचरितमानस की प्रेरणा को जाहिर करता है. मुख्यमंत्री योगी डॉ. समीर त्रिपाठी की देवीभागवत पुराण महापुराण की प्रस्तुति वाले संगीतमय प्रदर्शन के विमोचन के दौरान बोल रहे थे.


सीएम योगी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि जब हम पूजा के दौरान अपने देवता से अपनी भाषा में बात करते हैं, तो देवता सीधे हमारी बात सुन सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब मुगल आक्रांता भारत के सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करने के लिये उतावले दिख रहे थे, तब हर गांव में रामलीला का आयोजन किया जा रहा था. यह रामचरितमानस की प्रेरणा को दर्शाता था.


'शक्ति की आराधना की जाती है'
मुख्यमंत्री  आदित्यनाथ ने कहा कि रामलीला में आज भी जाति-वर्ण को पीछे छोड़कर सब एकजुटता के साथ उसका मंचन करते हैं. यह जन चेतना की जागरूकता को दर्शाता है. पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां साल में दो बार शक्ति की आराधना की जाती है.


मुख्यमंत्री  योगी ने कहा कि बताया जाता है कि जब संत तुलसीदास ने संस्कृत में आधुनिक रामायण लिखने का प्रयास किया तो ग्रंथ हमेशा नष्ट हो जाता था. अंततः काशी में स्वयं भगवान विश्वनाथ ने दर्शन दे कर उन्हें संस्कृत नहीं बल्कि लोक भाषा में रचना करने को कहा था. उस समय लोक भाषा के रूप में अवधी को महत्व दिया गया और तुलसीदास काशी से अयोध्या आए. उन्होंने राम चरित मानस को अवधी में लिखना प्रारंभ किया.


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