Lok Sabha Elections 2024: देश में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. जिसे देखते हुए सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं. कोई अपने कोर वोटर्स को मजबूत करने में लगा है तो कोई दूसरे दलों के वोटरों को लुभाने की कोशिश में लगा है. उत्तर प्रदेश में भी चुनावी माहौल बन चुका है. खासकर कि मुस्लिम वोटर्स को लेकर राज्य में कबड्डी चल रही है. सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को एक मामले में मिली सात साल की सजा के बाद सियासत और तेज हो गई है. 


आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. आजम खान को रामपुर से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया है. इस बार सजा मिलने वाले दिन से ही सपा आजम खान के साथ खड़ी नजर आ रही है और सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. वहीं कांग्रेस भी खुलकर आजम खान के समर्थन में है. 


मुस्लिम वोट साधने में जुटी कांग्रेस 


सियासी गलियारों में चर्चा है कि आजम खान के जरिए कांग्रेस मुस्लिम वोट साधने में जुटी है. मुस्लिम वोट के लिए उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच लंबे समय से रस्साकशी होती रही है, लेकिन राज्य में फिर से पैर जमाने के लिए मेहनत कर रही कांग्रेस भी अब मुस्लिम मतों की पुरानी उत्तराधिकारी बनकर सामने आ रही है. 


"कांग्रेस उनके लिए हर लड़ाई लड़ेगी"


आजम खान का समर्थन करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि बीजेपी सरकार आजम खान पर बदले की भावना से केस करती रही है. कांग्रेस मुस्लिमों का पुराना घर है. भले ही आजम खान सपा के नेता हों, लेकिन कांग्रेस उनके लिए हर लड़ाई लड़ेगी. हम कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े हैं. कांग्रेस नेता ने यहां तक कह दिया कि अगर आजम खान कांग्रेस में होते तो उनके ऊपर इतना जुल्म नहीं होता. 


सपा भी इस बार खड़ी आजम खान के साथ 


आजम खान पहले भी जेल जा चुके हैं. तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर आजम के साथ खड़े नहीं दिखाई दिए थे. जिसे लेकर आजम खान के समर्थकों के साथ-साथ कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए थे. हालांकि इस बार अखिलेश यादव शुरू से ही आजम खान के साथ खड़े हैं और लगातार बीजेपी सरकार पर हमलावर हैं. 


मुस्लिम राजनीति के केंद्र में सपा नेता


इसमें कोई शक नहीं है कि आजम खान सपा के सबसे लोकप्रिय मुस्लिम चेहरा रहे हैं और शायद अभी भी हैं. पूर्व मंत्री आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य अब केंद्र या प्रदेश के किसी सदन का सदस्य भी नहीं है, लेकिन बावजूद इसके सपा नेता मुस्लिम राजनीति के जोड़तोड़ केंद्र में हैं. यही कारण है कि कांग्रेस आजम खान के जरिए मुस्लिमों को अपने साथ खींचना चाहती है. 


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