UP Politics: 'सदन में नहीं आने दिया दलितों का मुद्दा', BSP ने सपा पर लगाया बीजेपी से मिलीभगत का आरोप
सपा को हेल्थ ज्यादा महत्वपूर्ण लगा, लेकिन दलित बेटियों को इंसाफ मिल सके, उसके लिए प्रश्न नहीं था. सपा और मेरा सवाल दोनों का एक साथ लगा था. मैं इसलिए मिलीभगत की बात कर रहा हूं.
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UP Politics: बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने मायावती के ट्वीट को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि असल में सपा और बीजेपी मिले हुए हैं. उन्होंने कहा कि सपा को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर का उद्देश्य नहीं है. उमाशंकर ने आरोप लगाया कि सपा सदन में बीजेपी को उन सवालों से बचा रही जिसका जवाब सरकार के पास नहीं है. उमाशंकर सिंह ने कहा कि आज सदन में हम बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आए थे. सरकार को जवाब देना महंगा पड़ जाता. हम लखीमपुर खीरी में दो बहनों की रेप के बाद हत्या की घटना का मुद्दा उठाना चाहते थे. इसके अलावा दो घटनाएं और भी थीं.
'सपा को हेल्थ ज्यादा अहम लगा, दलित बेटियों को इंसाफ का मुद्दा नहीं'
हमारा सवाल नियम 56 के तहत लगा हुआ था. समाजवादी पार्टी की तरफ से भी नियम 56 था. फर्क ये है कि सपा की तरफ से दलित बेटियों के लिए नियम 56 नहीं बल्कि हेल्थ के लिए था. सपा को हेल्थ ज्यादा महत्वपूर्ण लगा, लेकिन दलित बेटियों को इंसाफ मिल सके, उसके लिए प्रश्न नहीं था. सपा और मेरा सवाल दोनों का एक साथ लगा था. मैं इसलिए मिलीभगत की बात कर रहा हूं कि उन्होंने सरकार से रिक्वेस्ट कर सवाल को दूसरे नंबर पर क्वेश्चन आवर के बाद रख दिया.
मैंने कहा कि जब नियम 56 शुरू ही हो गया तो मेरा भी ले लिया जाए लेकिन नहीं लिया गया. क्योंकि उनकी सरकार से पहले से बातचीत थी की लखीमपुर की घटना बसपा से नहीं उठाने देंगे. अखिलेश यादव ने सोचा और कोई मुद्दा नहीं आ पाए इसलिए अपने विधायकों को वेल में भेज दिया और हाउस बाधित हो गया. सरकार चाह भी रही थी कि अपने एजेंडे को पूरा कर हाउस को स्थगित कर दे, वही हुआ. इसका मतलब ये हुआ कि खीरी में दलितों पर हो रहे अत्याचार का जवाब सरकार को न देना पड़े, सपा ने सरकार के लिए सेतु का काम किया है.
रणनीति के तहत दलितों की समस्या को सदन में नहीं आने दिया-बसपा
आज की कार्यसूची ले लीजिए. उसमें 160वें नंबर पर नियम 56 का प्रस्ताव था. सरकार जानती है कि हेल्थ में क्या बोलेंगे, कोई मुद्दा है नहीं. रणनीति के तहत दलितों की समस्या को सदन में नहीं आने दिया गया. उमाशंकर सिंह ने कहा कि मायावती हमेशा बेबाक और निष्पक्ष बोलती हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र में सब को अधिकार है कि नियमों के तहत धरना प्रदर्शन, मार्च करें. सरकार को दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए और ना ही ऐसे लोगों पर मुकदमा करना चाहिए.
बीजेपी के लिए तल्ख लहजे को लेकर उमाशंकर ने कहा कि मायावती के सारे ट्वीट को एनालाइज करेंगे तो हमेशा मुद्दे उठाती हुई मिलेंगी. बसपा का कल्चर है कि बहन जी बहुत अनुशासन में रहकर बात करती हैं. मर्यादित और संसदीय परंपरा में रहती हैं. हमारी पार्टी इसलिए जानी जाती है कि संस्कारों से भरी हुई है और अनुशासन में काम करती है. एनसीआरबी के आंकड़ों को बहन जी के शासन काल से भी मिला लिया जाए, पता चल जाएगा कौन बेहतर है.
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