Danish Azad Ansari on Akhilesh Yadav: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष में बैठे अन्य दल के नेता भी लगातार यह कह कर निशाना साधते रहे कि वह एसी कमरे से बाहर नहीं निकलते. सिर्फ ट्वीट करना जानते हैं. कभी अखिलेश यादव के सहयोगी दल रहे सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar), महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य (Keshav Dev Maurya) भी इस तरह के बयान देते रहे. अब अखिलेश यादव सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरते हुए नजर आ रहे हैं. उनकी यह सक्रियता बताने को काफी है कि आगामी निकाय चुनाव हो या 2024 के लोकसभा चुनाव सपा पूरी ताकत से टक्कर देने को तैयार है.
अखिलेश यादव ने पैदल मार्च किया
मानसून सत्र शुरू होने से पहले सपा ने फैसला किया था कि 14 सितंबर से 18 सितंबर तक सपा के विधायक रोजाना विधानभवन परिसर में धरना देंगे. हालांकि इन लोगों को ऐसा करने की अनुमति नहीं मिली. धरने से पहले ही सपा के नेताओं के घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया. इसके बाद अखिलेश यादव ने सत्र के पहले दिन 19 सितम्बर को अपने विधायकों साथ सपा कार्यालय से विधानसभा तक पैदल मार्च निकालने का फैसला लिया. ये लोग राजभवन के सामने वाले जिस रुट से जाना चाहते थे पुलिस ने अनुमति नहीं दी. पुलिस ने इन्हें दूसरे रुट से जाने को कहा लेकिन इस पर सपाई नहीं माने और धरना प्रदर्शन करने के साथ सड़क पर ही बैठक गए.
इसके बाद अखिलेश यादव खुद लगातार सदन में सरकार पर हमलावर दिखे. इतना ही नहीं 23 सितंबर को सत्र के अंतिम दिन अखिलेश यादव ने अपने विधायकों के साथ विधानसभा से सपा कार्यालय तक पैदल मार्च किया वो भी राजभवन के सामने से ही. पैदल मार्च के पहले अखिलेश यादव ने अपने 12 विधायकों साथ राज्यपाल से मुलाकात की और सपा विधायक आजम खान का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार दुर्भावना से सत्ता का दुरूपयोग कर आजम खान और उनके परिवार को प्रताड़ित कर रही है.
'सपा ने सभी मुद्दे पर मजबूती से लड़ाई लड़ी'
अखिलेश यादव की बढ़ी सक्रियता पर सपा विधायक और मुख्य सचेतक मनोज पाण्डेय का कहना है कि सपा संघर्षों की पार्टी है. किसान, गरीब, नौजवान बेरोजगारी पर अपनी स्थापना से लेकर लगातार संघर्ष करने वाली पार्टी है. अखिलेश यादव हमेशा कार्यकर्ताओं, गरीबों, किसानों के बीच रहते हैं, उनके लिए सड़क पर लड़ाई लड़ते हैं. अखिलेश यादव के नेतृत्व में सड़क से सदन तक सपा ने किसान, गरीब, स्वास्थ सेवाओं, बढ़ी जीएसटी, छात्रों के मुद्दे, सूखा, बाढ़ इन सभी मुद्दों पर मजबूती से लड़ाई लड़ी. 2022 के चुनाव में भी पूरे प्रदेश में अखिलेश यादव ने रथयात्रा निकाली, जनसभाएं, कार्यकर्ता सम्मेलन किए.
चुनाव को 6 महीने हुए और 12 से 18 जिलों में अखिलेश यादव के कार्यक्रम हो चुके हैं. लगातार पिछले सदन में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पूरा समय खराब व्यवस्था को उठाने, सरकार को सुझाव देने और जगाने में लगाया.
मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने निशाना साधा
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह विचित्र बात है कि जब उन्हें सदन में रहना चाहिए उस समय सड़क पर हैं. सदन प्रदेश के विकास के लिए सार्थक चर्चा करने का एक स्थान है. जहां सभी विधायक पक्ष और विपक्ष के प्रदेश के विकास को सुनिश्चित करते हैं. ऐसे महत्वपूर्ण समय उनका सदन में ना होना दिखाता है कि उन्हें प्रदेश के विकास, तरक्की और जनमानस की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है.
सदन में सार्थक चर्चा करके प्रदेश के विकास में योगदान कर सकते थे लेकिन इसे नकारते हुए पॉलिटिकल इशू बनाया. उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है, जनता ने चुना कि आप उनके मुद्दों को सदन में रखे. तब सड़कों पर धरना प्रदर्शन करके क्या साबित करना चाहती है.
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