आजमगढ़ से चुनाव क्यों हार गए दिनेश लाल यादव निरहुआ? सीएम योगी से मुलाकात के बाद बताई ये वजह
Azamgarh Lok Sabha Seat पर चुनाव हारने के बाद Dinesh Lal Yadav पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए और सपा सांसद धर्मंद्र यादव को लेकर टिप्पणी की और अपनी हार की वजह बताई
Azamgarh News: आजमगढ़ सीट से चुनाव हारने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा कि वह चुनाव हारने के बाद लखनऊ गए थे . सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले और उन्होंने ने कहा आपने चुनाव बहुत अच्छा लड़ा और आपको आज़मगढ़ छोड़ना नही है. हार की वजह बताते हुए कहा कि केंद्र और प्रदेश में दोनों जगह सरकार हमारी है जिससे आज़मगढ़ में कोई भी विकास का कार्य रुकेगा नहीं.
उन्होंने कहा कि 3 लाख 47 हज़ार लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया है. उस आशीर्वाद के दम पर मैं आज़मगढ़ में डट के खड़ा रहूंगा और पांच साल बाद जब फिर से चुनाव होगा तो फिर हम लोग यहां के सांसद धर्मेन्द्र यादव से सवाल पूछेंगे. हमने जो दो साल में आज़मगढ़ के लिए किया था वह जनता के सामने है लेकिन आपने पांच साल में कितना काम किया है वह बताइये. ये जीत और हार तो होती रहती है. पर आप जब जनता के प्रतिनिधि के रूप में मैदान में उतरे है तो आपका काम यही होना चाहिए की आप जीते या हारे आप जनता के बीच रहें.
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चुनाव हार जाएंगे धर्मेंद्र यादव!
चुनाव जीतने के बाद धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ के पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ के उज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें बधाई दी थी और कहा था की निरहुआ गलती से राजनीति में फंस गए. इन सवालों का जवाब देते हुए निरहुआ ने कहा की वह ठीक से पता करें तो पता चलेगा की मेरा भविष्य बहुत उज्जवल है. मैं अपने कार्य के साथ साथ यहां जनता की सेवा करने आया हूँ जनता ने मुझे दो साल का मौका दिया था और मैंने जो दो साल में करके दिखाया है आप पांच साल में कर लीजिएगा फिर हमको शुभकामना दीजिएगा.
निरहुआ ने अपनी हार को लेकर बताया कि चुनाव में जिस तरह से इंडिया गठबंधन के लोगों ने लोगों के बीच दुष्प्रचार किया संविधान खत्म करने की बात कही, खटाखट पैसे देने की आने की बात कही ,उन चीजों को लेकर के जनता भ्रमित रही और उनके बहकावे में आकर उन्होंने उन्हें मत किया. इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने. यह अपने आप में एक बड़ी जीत है आने वाले समय में जब दोबारा चुनाव होगा पब्लिक इनसे पूछेगी कि आखिर क्या हुआ उनके चुनावी वादों का तब उनके पास जवाब नहीं होगा और तब यही जीते प्रत्याशी चुनाव हारेंगे.