लोकसभा चुनाव के पांच चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है. इन पांच चरणों में दो ऐसी सीटों पर मतदान हुआ जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. हालांकि इसमें से एक सीट पर साल 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना परचम बुलंद किया था. ये दो सीटें हैं रायबरेली और अमेठी.
इस चुनाव में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि रायबरेली और अमेठी में गांधी परिवार का एक धड़ा तो प्रचार करने पहुंचा लेकिन दूसरे धड़े ने न तो कोई खास प्रतिक्रिया दी और न ही चुनाव प्रचार में कोई दिलचस्पी दिखाई.
हम बात कर रहे हैं सोनिया गांधी, मेनका संजय गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और फिरोज वरुण गांधी की. रायबरेली सीट पर राहुल गांधी खुद उम्मीदवार थे. यहां सिर्फ राहुल नहीं बल्कि प्रियंका और सोनिया समेत समूची कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. अमेठी में गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था.
मेनका नहीं दिया कोई बड़ा बयान
इस पूरे चुनाव के दौरान यह देखने को मिला यूपी में रायबरेली और अमेठी में प्रचार में भारतीय जनता पार्टी की नेता और सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद मेनका गांधी नहीं दिखीं. इतना ही नहीं कुछ पत्रकारों ने भी जब यह पूछा कि राहुल अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं तो इस सवाल को वह पार्टी का आंतरिक मामला बता कर टाल गईं.
इसके अलावा सुल्तानपुर में भी जहां से मेनका खुद प्रत्याशी हैं, वहां जब इंडिया अलायंस की रैली हुई तब सिर्फ अखिलेश यादव ही गए. सोनिया, राहुल और प्रियंका ने भी मेनका पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इतना ही नहीं पीलीभीत से इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे वरुण गांधी पूरे चुनाव के दौरान खामोश रहे. माना जा रहा है कि वह 23 मई को सुल्तानपुर जाएंगे और मां के पक्ष में प्रचार करेंगे. सुल्तानपुर सीट पर 25 मई को मतदान होगा.
चार दशक पहले सन् 1984 में पहली और आखिरी बार गांधी परिवार ने एक दूसरे के सामने चुनाव लड़ा था. भूतपूर्व पीएम राजीव गांधी और मेनका गांधी एक दूसरे के आमने सामने थे. राजीव को इस चुनाव में लगभग 84 फीसदी और मेनका को 11 फीसदी मत मिले थे.
यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर प्रचार करने जाएंगे या नहीं या दोनों नेता दशकों पुरानी अनकही परंपरा का पालन करेंगे.