यूपी की सियासत में 1 हफ्ते से चल रही महाभारत, 10 सीटों के कुरुक्षेत्र में कौन मारेगा बाजी?
UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में बीते एक हफ्ते से बयानों की महाभारत चल रही है. 10 सीटों के उपचुनाव से पहले सीएम योगी और सपा चीफ अखिलेश के बीच बयानबाजी का क्या असर होगा?
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्माई हुई है क्योंकि 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इस बार समाजवादी पार्टी उत्साहित है क्योंकि अपने सियासी इतिहास में 24 के लोकसभा चुनाव में एसपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं. यूपी की 80 सीटों में समाजवादी पार्टी ने सबसे ज्यादा 37 सीटें जीती थीं. पश्चिमी यूपी से लेकर अवध और पूर्वांचल तक एसपी को जीत मिली थी लेकिन योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में अखिलेश यादव कामयाब नहीं हो पाए थे.
अब दोनों के बीच उत्तर प्रदेश के कई मुद्दों पर बहस और बयानबाजी शुरू हो गई है. एक मुद्दे पर बात खत्म नहीं होती कि दूसरे की चर्चा शुरू हो जाती है. बीते एक हफ्ते में टोपी, बुलडोजर, डीएनए और एनकाउंटर पर बयानबाजी हो चुकी है. बुलडोजर से लेकर एनकाउंटर और लाल टोपी से लेकर डीएनए तक योगी और अखिलेश यादव के बीच बयानों का युद्ध छिड़ा हुआ है. इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसा ही माहौल बना हुआ है कि योगी आदित्यनाथ की कमान से अगर तीर निकलता है तो अखिलेश यादव भी वार करना नहीं भूलते.
लाल टोपी...
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच सियासी जंग का सिलसिला करीब सात दिन पहले शुरू हुआ था. जब योगी आदित्यनाथ यूपी के कानपुर को परियोजनाओं का तोहफा देने पहुंचे और यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी पर लाल टोपी वाला हमला किया था
सीएम ने कहा था कि लाल टोपी वालों के काले कारनामे हैं. वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि लखनऊ में जो बैठे हैं उन्हें तो लाल रंग से पता नहीं क्या नफरत है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने लाल टोपी पर हमला किया तो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव फिर रुके ही नहीं.बयानों से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में लाल रंग की परिभाषा समझाते हुए योगी पर पलटवार करते रहे.
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और बात सिर्फ वार-पलटवार तक नहीं रही बल्कि तीखे तंज भी होने लगे. लाल टोपी से कारवां काली टोपी तक जा पहुंचा. अखिलेश ने कहा कि टोपी वो लोग लगाएंगे जिनके सिर पर बाल होंगे और सीएम को इमोशन तो समझ में आता नहीं है- उन्होंने कभी मेल मिलाप तो देखा नहीं है. अखिलेश यादव काली टोपी के जरिए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ यानि आऱएसएस की तरफ इशारा कर रहे थे.
लाल टोपी पर राजनीतिक संग्राम अभी थमा भी नहीं था कि योगी वर्सेज अखिलेश यादव के बीच बुलडोजर पर बयानबाजी शुरू हो गई. अखिलेश ने कहा कि बुलडोजर का सवाल है- सोचो कैसा न्यायालय का बुलडोजर चला जो लोग बुलडोजर लेकर डराते थे. इस पर योगी ने कहा कि जो माफियाओं के सामने नाक रगड़ते थे वो क्या बुलडोजर चलाएंगे.
बुलडोजर...
अब बात करते हैं बुलडोजर की जो उत्तर प्रदेश और सीएम योगी आदित्यनाथ की राजनीति की पहचान बन चुका है. अपराध और अपराधिय़ों पर नकेल कसने का वो औजार जिसे योगी की तरह कई राज्यों के सीएम ने कॉपी तक करने की कोशिश की. योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा तक कहा जाने लगा था और अब वो ही बुलडोजर उपचुनाव के ठीक पहले फिर से गर्म हो गया है.
सीएम योगी ने कहा था कि बुलडोजर वो ही चला सकता है जिसके पास दिल और दिमाग हो. इसके जवाब में अखिलेश ने कहा था कि बुलडोजर के पास दिमाग नहीं होता उसमें स्टेयरिंग होता है.
लखनऊ में बीते मंगलवार को अखिलेश यादव ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा था कि 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद सारे बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ होगा. ये बैठक गोरखपुर के कार्यकर्ताओं की थी और अखिलेश ने गोरखपुर का जिक्र करके निशाने पर सीएम योगी को लिया था. इसी पर योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए कहा था कि बुलडोजर चलाने के लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिए और फिर अखिलेश का जवाब आया था.
डीएनए...
बुलडोजर के बाद अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच डीएनए पर बहस हुई. योगी आदित्यनाथ समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी पहंचे थे औऱ यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी पर प्रहार किया. सीएम ने कहा था कि मैनपुरी जो वीवीआईपी माना जाता है वो क्यों पिछड़ रहा है, ये धरती ऋषियों से जुड़ी रही है, संग्राम सेनानियों से जुडी है इसकी पहचान क्यों छुप क्यों गई. ये वही लोग जिन्होंने इसकी पहचान का संकट खड़ा किया. इस पर अखिलेश- हार के बाद इनका ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ है. दोनों के बीच असली जुबानी जंग तब छिड़ी जब बात डीएनए पर आई.
सीएम योगी ने कहा था कि चाचा भतीजे से लूट मचा रखी थी- भतीजा ही बैग लेकर भाग गया. इसके जवाब में अखिलेश यादव ने कहा था कि सदमा लग गया है, चोट लग गई तो कुछ भी बोल रहे. 10 सीटों के उपचुनाव पर अखिलेश ने कहा कि हम दस की दस सीट जीतेंगे. इस पर सीएम योगी ने कहा कि वो मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं- टीपू चले सुल्तान बनने.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि इनके डीएनए में ही खोट है. इसके जवाब में अखिलेश ने कहा कि डीएनए का फुल फॉर्म पता है क्या. दरअसल यूपी के मैनपुरी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने नवाब सिंह का नाम लेकर सपा पर हमला किया था.सीएम ने कहा था कि कन्नौज का नबाब ब्रांड इनका वास्तविक चेहरा है.
बता दें यूपी के कन्नौज में नाबालिग से रेप के मामले में पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव पर आरोप लगा है. और नवाब सिंह यादव का रेप पीड़िता के साथ डीएनए मैच हो गया है. इसी के साथ नाबालिग से बलात्कार की पुष्टि हुई है.
एनकाउंटर...
डीएनए, बुलडोजर और लाल टोपी के बाद अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच एनकाउंटर को लेकर बयानबाजी जारी है. सुल्तानपुर में पुलिस ने एक लाख के इनामी बदमाश मंगेश यादव को मार गिराया. आरोप था कि मंगेश यादव ने अपने 4 साथी गुंडों के साथ दो बाइक पर सवाल होकर सुल्तानपुर के मशहूर ज्वेलर्स की दुकान में बंदूक की नोंक पर लूट की थी और गहने लेकर फरार हो गया था. पुलिस को अपराधियों की तलाश थी और बुधवार रात पुलिस को सूचना मिली थी इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी की और दोनों तरफ से चली गोलीबारी में मंगेश यादव मारा गया.
मंगेश यादव नाम के इनामी बदमाश के मारे जाने के बाद यूपी में राजनीति शुरू हो गई और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसकी शुरुआत करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा - लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था.. इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गई.
2027 की जमीन अभी से हो रही तैयार?
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि आरोपी को जाति देखकर गोली मारी गई. जबकि बीजेपी ने कहा कि सरकार अपराधी की जात नहीं देखती. अभी तो उपचुनाव की तारीखों का एलान तक नहीं हुआ है और उसके पहले ही योगी आदित्यनाथ और अखिलेश के बीच चार अलग-अलग मुद्दों पर सियासी रार छिड़ चुकी है.
दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार की जाने लगी है. और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में होने जा रही 10 सीटों पर उपचुनाव को उसका लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. यही वजह है कि अभी से बयानों में राजनीतिक पारा अपने चरम पर दिखाई दे रहा है.