UP Assembly Election 2024: यूपी विधानसभा चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ओबीसी समाज के लोग एकजुट हो गए हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने बताया कि ओबीसी समाज सभी पार्टियों में उपेक्षा का शिकार रहा है. यही वजह है कि उन्होंने ओबीसी (वन भारत सिटीजन) पार्टी का गठन किया है. उन्होंने बताया कि वन भारत सिटीजन पार्टी का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग से प्राप्त हो चुका है. ये देश की पहली पिछड़ों की पार्टी है. उन्होंने कहा कि अभी तक देश में 100% फीसदी पिछड़ों की पार्टी है. उन लोगों ने हुंकार भर दी है. वो लोग यूपी में 2027 में ओबीसी पार्टी की सरकार बनाने के लिए तैयार हैं.
ओबीसी आर्मी के रूप में उन लोगों ने देश के लिए काम किया है. उन लोगों का जन-जन के लिए काम किया है. ओबीसी समाज के लिए सड़क से लेकर कोर्ट तक उन लोगों ने लड़ने का काम किया है. आज उनकी ओबीसी समाज के बीच अपनी पार्टी की घोषणा कर रहे हैं. ये ओबीसी पार्टी इसलिए बनीं, क्योंकि उन लोगों ने बहुत सी पार्टियों को देखा है. वे लोग ओबीसी समाज के लोगों के साथ वादा तो करते थे, लेकिन उसे पूरा नहीं करते थे. वे जब सत्ता में रहते हैं, तो जातिगत जनगणना, बेरोजगारी, आबादी के अनुसार भागीदारी याद नहीं आती है. उन्हें सिर्फ जाति और धर्म याद आता है. उन लोगों ने जातियों को अलग पार्टी बना दी. ओबीसी समाज को अलग-थलग करने का काम किया. सिर्फ परिवार की पार्टी बनकर ओबीसी समाज के नाम पर लूटकर सत्ता की मलाई चाटते रहे.
ओबीसी पार्टी की सरकार बनने का दावा
कालीशंकर ने बताया कि दिल्ली में सात राज्यों के लोगों ने बैठकर कांस्टीट्यूशनल क्लब ऑफ इंडिया में मार्च 2023 में 35 से अधिक पिछली जातियों के प्रतिनिधि ने मिलकर ओबीसी पार्टी बनाने का निर्णय लिया. उन लोगों ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में अप्लाई किया और उन्हें 20 अप्रैल को उनकी पार्टी का पंजीकरण हो गया. वे 2027 के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. 2027 में यूपी में ओबीसी पार्टी की सरकार बनेगी. उन्हें इसका पूरा विश्वास है.
कालीशंकर ने कहा कि वे लंबे समय तक सपा में रहे. समाजवाद एक विचारधारा है. समाजवाद समता, बराबरी, कमजोर-पिछड़े, दब-कुचले, उपेक्षित-शोषित, वंचितों की लड़ाई लड़ने के लिए है. न कि अपने परिवार के लोगों को मलाई खिलाने के लिए होती है. जब सत्ता में होते हैं, तो जातिगत जनगणना की बात नहीं करते हैं. आबादी के अनुसार भागीदारी की बात नहीं करते हैं. नेताजी ने उन्हें ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी काउंसिल का अध्यक्ष के रूप में जोड़ा था. सपा ने उनकी 15 साल जवानी को लिया. जब वे पिछड़े समाज की बात करते थे, तो उन्हें चुप करा दिया जाता था. जब पिछड़े समाज के ऊपर अत्याचार होता था, तो वे धरने पर बैठते थे. प्रदेश अध्यक्ष का फोन आ जाता था कि वोट कटवाएंगे क्या. इसके बाद उन्होंने साल 2017 में सपा को छोड़ दिया.
"ओबीसी समाज के विकास के लिए करेंगे काम"
कालीशंकर ने कहा कि उनके लिए पहले राष्ट्र है. देश के सभी जाति-धर्मों का सम्मान करते हुए ओबीसी समाज के विकास के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी भागीदारी का प्रतिशत जीरो है. सेंट्रल कैबिनेट में उनकी भागीदारी का प्रतिशत जीरो है. जहां उन्हें कलम चलाना है, यूजीसी से उन्होंने आरटीआई किया. सेंट्रल यूनिवर्सिटी में उनकी भागीदारी का प्रतिशत नहीं के बराबर है. उनकी भागीदारी वहां पर है जहां पर गोली खाना है. सेना में चपरासी की नौकरी में सर्वाधिक हैं. भाजपा की सरकार से जनगणना की मांग की, लेकिन नहीं मिली. वे गठबंधन के साथ भी नहीं जाएंगे. क्योंकि गठबंधन भी कभी सत्ता की मलाई चाटता था. उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव में उन्होंने समाज के लोगों से अपील की है कि वे उसे ही वोट दें, जो कम घातक है.
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