बुलडोजर पर सुप्रीम फैसले के बाद RLD की पहली प्रतिक्रिया, कहा- बिना प्रक्रिया के सजा देना असंवैधानिक
राज्यों में होने वाले बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय लोकदल ने पहली प्रतिक्रिया दी है.
Bulldozer Action UP: सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने के बाद केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल ने पहली प्रतिक्रिया दी है. पार्टी के प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने पार्टी चीफ जयंत चौधरी के बयान के हवाले से कहा कि बिना प्रकिया के सजा देना असंवैधानिक है.
रोहित अग्रवाल ने लिखा- जयंत चौधरी हमेशा से कहते रहे हैं कि न्यायपालिका से ही देश चलेगा, किसी भी दशा में बिना प्रक्रिया के कोई भी सजा देना आसंवैधानिक है. देश नागरिकों का ही है और सरकार नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने का काम करती है.
रालोद नेता ने लिखा- आज सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया कि कार्यपालिका न्यायाधीश नही बन सकती, बिना प्रक्रिया आरोपी का घर तोड़ना असंवैधानिक, यहां तक दोषी पाए जाने पर भी सजा के तौर पर उनकी संपत्ति को नष्ट नही किया जा सकता,सुनवाई से पहले आरोपी को दंडित नही किया जा सकता,अधिकारियों द्वारा पद का दुरुपयोग करने पर उन्हें दंडित किया जाएगा,घर तोड़ने पर संतुष्ट करना होगा कि यही एक मात्र न्याय का मार्ग है.
सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों को ढहाने के संबंध में अखिल भारतीय दिशा निर्देश जारी किए
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में चलन में आए ‘बुलडोजर न्याय’ पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में बुधवार को अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी किये और कहा कि कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते, आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते. जज जस्टिस बी आर गवई और जज जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि लोगों के घर सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा.
जज जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे रातभर सकड़ों पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है. पीठ ने निर्देश दिया कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए और नोटिस जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए. पीठ ने निर्देश दिया कि ढहाने की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाए . पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यदि सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत निर्माण हो या अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया हो तो वहां उसके निर्देश लागू नहीं होंगे.
इसने कहा कि संविधान और आपराधिक कानून के आलोक में अभियुक्तों और दोषियों को कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय प्राप्त हैं. सुप्रीम कोर्ट ने देश में संपत्तियों को ढहाने के लिए दिशा-निर्देश तय करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी.