UP Politics: उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व काबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासिचव के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके साथ भेदभाव हुआ है. अब इस पर राष्ट्रीय लोकदल ने प्रतिक्रिया दी है. रालोद प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि- स्वामी प्रसाद मौर्य ने दुखी मन से समाजवादी पार्टी से दिया इस्तीफा. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर लगाया आरोप कि वह आश्वासन देने के बाद भी सड़कों पर संघर्ष करने के लिए 2023 में रथ यात्रा करने को तैयार नहीं हुए.
रालोद नेता ने लिखा कि मौर्य समाज से आने के कारण राष्ट्रीय सचिव होने के बावजूद समाजवादी पार्टी में उनका सम्मान नहीं. उनके साथ गाली गलौज की जाती है वह जान से मारने की धमकी दी जाती है. इसका मतलब साफ है PDA का नारा सिर्फ वोट हड़पने की राजनीति है.
इसके अलावा बीजेपी नेता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा- "केवल स्वामी प्रसाद मौर्य ही बता सकते हैं कि वह समाजवादी पार्टी में कैसे गए और कैसे बाहर आ गए. हालांकि, जो लोग नकारात्मक राजनीति करते हैं उन्हें समाज, जनता या पार्टी में जगह नहीं मिलती है. यह उनकी नकारात्मक राजनीति का परिणाम है."
वहीं हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि कान पकड़ कर अखिलेश जी को एक लात मार कर उसे पार्टी से निकालना चाहिए. वो किस प्रकार से सनातन के बारे में टिप्पणी करता है. मुझे लगता है ऐसी व्यक्ति को तत्काल जिसको भी संविधान में आस्था है उसे ऐसे व्यक्ति को मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी चिट्ठी में लिखा, "जबसे मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है. हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी. भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै सो में साठ", शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा और रामस्वरूप वर्मा ने कहा था सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है. इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही था नारा 85 बनाम 15 का."