UP Politics: सपा ने छोड़ा कांग्रेस का साथ! चुनाव में टूट जाएगी यूपी के दो लड़कों की जोड़ी?
UP Politics: लोकसभा चुनाव के दौरान साथ लड़े समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जोड़ी टूट सकती है. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सपा प्रवक्ता ने बड़ा दावा किया है.
Lok Sabha Elections 2024 में इंडिया अलायंस के परचम तले साथ चुनाव लड़े भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की राहें दिल्ली विधानसभा चुनाव में अलग हो सकती हैं. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीते दिनों आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा किया था. उसके बाद से ही कयास लग रहे थे.
अब सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. दिल्ली में साल 2025 की फरवरी में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के संदर्भ में चांद ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. तो आरोप भी लगेंगे. कुछ बातें भी होंगी.
सपा प्रवक्ता ने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि दिल्ली में आप को समर्थन करेगी. कुछ बातें इंडिया अलायंस के नेतृत्व को लेकर हो सकती हैं. कुछ मतभेद भी हो सकते हैं. लेकिन सपा चाहती है कि इंडिया अलायंस मजबूत रहे. राष्ट्रीय स्तर पर सपा, भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए सबको साथ लेकर चलने में भरोसा रखती है.
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बता दें नवंबर 2025 में यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर संपन्न हुए उपचुनाव में भी सपा सभी सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इतना ही नहीं कांग्रेस ने आगामी मिल्कीपुर उपचुनाव में भी मैदान में उतरने से मना कर दिया है. हालांकि यूपी कांग्रेस, पार्टी इकाई के मुखिया अजय राय और प्रभारी अविनाश पांडेय लगातार यह बात दोहरा रहे हैं कि साल 2027 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ लड़ेगी.
150 सीटों पर कांग्रेस के प्रभारी!
सपा की ओर से भी यूपी में कांग्रेस संग रिश्ते तोड़ने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि हरियाणा, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मात के बाद सपा के एक वर्ग की ओर से यह आवाज जरूर उठ रही है कि साल 2027 में प्रस्तावित यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मांग के अनुसार सीटें न दी जाएं.
उधर, कांग्रेस की प्लानिंग है कि वह राज्य इकाई की नई कमेटियां और समितियां पुनः बनाने के बाद कम से कम 150 सीटों पर अपने प्रभारियों की नियुक्ति कर देगी. दावा है कि बाद में इन्हीं प्रभारियों को प्रत्याशी बनाया जाएगा.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यूपी विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का सियासी रिश्ता, किस करवट बैठता है.