UP Politics: सुभासपा में टूट की आशंका! ओपी राजभर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले पार्टी के इस बड़े नेता ने छोड़ा साथ
UP News: राष्ट्रपति चुनाव से पहले ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को तगड़ा झटका लगा है. जिसमें पार्टी के नेता शशि प्रताप सिंह ने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है.
Lucknow News: सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर, अपने बयानों से पलटने के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए थे. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सपा को झटका देने की उनकी तैयारी थी लेकिन उससे पहले एक बड़ा झटका खुद ओमप्रकाश राजभर को लगा है. दरअसल, पार्टी के उपाध्यक्ष शशि प्रताप सिंह ने ओमप्रकाश राजभर पर तमाम आरोप लगाते हुए सुभासपा में टूट का ऐलान किया है. हालांकि अब सुभासपा के लोग कह रहे हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन समाजवादी पार्टी साफ तौर पर कह रही है कि अभी बड़ी राजभर की पार्टी में बड़ी टूट होगी.
शशि प्रताप सिंह ने राजभर पर लगाए गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले 6 वर्षों में ओमप्रकाश राजभर की छवि कभी पलटी मार बयानों के लिए कभी सियासी अस्थिरता और कभी कथनी और करनी में अंतर वाले नेता के तौर भी पहचान बनी है. जिस तरीके से ओमप्रकाश राजभर एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में आयोजित मुख्यमंत्री आवास पर डिनर कार्यक्रम में पहुंचे. फिर उनके बेटों ने इससे इनकार किया वह भी इसकी एक बानगी भर है. हालांकि ओमप्रकाश राजभर ने डिनर में शामिल होकर समाजवादी पार्टी के साथ रिश्तों में तल्खी के संकेत भी दे दिये और 12 जुलाई यानी मंगलवार को वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके गठबंधन तोड़ने जैसा कोई बड़ा एलान करने की तैयारी में जुटे थे.
प्रेस कॉफ्रेंस से पहले उनके पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष शशी प्रताप सिंह ने अलग होने का एलान कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने ओमप्रकाश राजभर पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. शशि प्रताप सिंह ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर केवल अपने बेटे और पत्नी को आगे बढ़ाना चाहते हैं. वह देश के सबसे बड़े झूठे नेता हैं.
नहीं बचेगी राजभर की जमानत- शशि
आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव के परिणाम के बाद ओमप्रकाश राजभर अखिलेश यादव पर कुछ ज्यादा ही मुखर हो गए हैं.. ओमप्रकाश राजभर ने यहां तक कह दिया कि वह एसी में बैठकर राजनीति करते हैं और राजनीति ऐसी नहीं चलती. इस पर अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले साफ तौर पर कहा था कि उन्हें किसी की सलाह की जरूरत नहीं है. और अब जब खुद ओमप्रकाश राजभर की पार्टी में टूट की खबर आई है तो समाजवादी पार्टी के नेता साफ तौर पर कह रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर जैसे नेता सत्ता के बिना नहीं रह सकते और उनकी शायद अब डील भी हो चुकी है. इसीलिए वह समाजवादी पार्टी पर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं.
पार्टी के पूर्व सांसद और राष्ट्रीय महासचिव राम शंकर राजभर का साफ तौर पर कहना है कि अखिलेश यादव की बदौलत ओमप्रकाश राजभर मालामाल हो गए जबकि बीजेपी की बदौलत ओमप्रकाश राजभर सदन में पहुंचे थे. ये बिना गठबंधन और सत्ता के नहीं रह सकते. उनका ये भी कहना है कि हो सकता है की राष्ट्रपति चुनाव के बाद बीजेपी इन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंक दे. पूर्व सांसद ने कहा कि वो कभी ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को पार्टी नहीं मानते क्योंकि उनकी पार्टी का अध्यक्ष बाप है, बड़ा बेटा प्रमुख महासचिव छोटा बेटा प्रवक्ता है. इनकी पार्टी में भारी टूट हो रही है, इनके विधायक भी टूट रहे हैं. अगर इस्तीफा देकर चुनाव लड़ेंगे तो इनकी जमानत भी नहीं बचेगी.
पार्टी में नहीं हुई है कोई टूट- अर्कवंशी
दूसरी ओर पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष शशि प्रताप सिंह के आरोपों पर और पार्टी तोड़ने के एलान पर सुभासपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सुनील अर्कवंशी का साफ तौर पर कहना है कि शशी प्रताप सिंह जो टूट की बात कर रहे हैं ऐसी कोई भी बात नहीं है, पार्टी में कोई टूट नहीं हुई है. सुनील रघुवंशी ने शशि को कचरा बताया और यह भी कहा है कि शशि ने अपनी जो पार्टी बनाई, उसका नाम समता से कचरा पार्टी कर देना चाहिए..
क्या कहा मंत्री अनिल राजभर ने?
इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि अगर नई पार्टी बनाई गई है तो उसका स्वागत है. उन्होंने यह भी कहा है कि ओम प्रकाश राजभर को संभल जाना चाहिए, नहीं तो ऐसे लोगों का यही हश्र होता है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता ने इस राजनीतिक घटनाक्रम पर कहा ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक मुकाम हासिल किया अखिलेश यादव जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं तो ओमप्रकाश राजभर को याद आ रहा होगा कि कैसे बीजेपी के साथ अच्छे स्वर्णिम दिन उन्होंने बिताए. हालांकि सुभासपा में टूट को आंतरिक मामला बताते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि जो जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर आगे नहीं चलेगा उसे जनता खारिज कर देगी और वो दल अप्रासंगिक हो जाएगा.
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