Varanasi News: वाराणसी की मूलभूत समस्याओं को लेकर अखिलेश यादव लगातार सरकार पर निशाना साध रहें है. बीते हफ्ते वाराणसी शहरी क्षेत्र के सिगरा स्थित व्यस्त सड़क पर हुए 6 फीट गड्ढे को लेकर अखिलेश यादव ने जहां सोशल मीडिया पर तस्वीरों को साझा करते हुए सरकार पर निशाना साधा था. वही एक बार फिर बनारस गंगा घाट की गंदगी से जुड़े एक वीडियो को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए अखिलेश यादव ने न केवल सरकार कों घेरा है बल्कि यह भी दावा किया है कि अब नई सरकार ही काशी से गंदगी का अंबार साफ करेगी.


सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट से वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वारा स्थित ललिता घाट का एक वीडियो शेयर किया है जिसमें गंगा किनारे गंदगी का अंबार दिख रहा है. उन्होंने लिखा है कि, यह है देश के प्रधान संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा जी का हाल, जिस पर काशी के गंगा उपासकों ने नया लघु गीत बनाया है. जिसे गंगा आरती के समय गाए जाने की योजना है. जिससे भाजपाईयों को स्वच्छ गंगा के अभियान के संकल्प को याद दिलाया जा सके. जहां तुमने बनाया गंगा द्वार वहीं पर है गंदगी का अंबार.अब तो आएगी नई सरकार अब वही करेगी काशी साफ.



इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत काशी को क्योटो बनाने वाले विजन पर तंज कसते हुए कहा है कि - भोली भाली जनता पूछ रही है क्या क्योटो में भी इतनी गंदगी जमा होती है जो आप काशी को कीचड़ का क्योटो बना रहे हैं.


'उन्हें भी अवसर मिला था क्या उन्होंने सुध लिया'
बीते वर्षों से गंगा घाट और गंगा नदी की सफाई करने वाले नमामि गंगे के शिवम अग्रहरी से जब गंगा नदी की स्वच्छता की हकीकत को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार स्थित ललिता घाट पर गंदगी जमा हो जाती है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और यह घाट मणिकर्णिका घाट - शमशान घाट के ठीक बगल में है जिसकी वजह से गंगा किनारे अक्सर गंदगी लगी रहती है और हम लोग नियमित तौर पर इसे साफ करने के लिए प्रयासरत भी है. 


उन्होंने कहा कि, इसके लिए सरकार के साथ-साथ जन भागीदारी की भी आवश्यकता है. आज भी मना करने के बावजूद कई लोग लापरवाही से प्लास्टिक के बोतल गंगा नदी में फेंक देते हैं लेकिन जहां तक हमें लगता है ऐसे मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. चुनाव को देखते हुए अखिलेश यादव वाराणसी के मुद्दों को लेकर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं लेकिन शायद जनता ने उन्हें भी 2012 से 2017 तक मौका दिया था. उन्होंने वाराणसी की कितनी सुध ली यह सभी जानते हैं और इसमें कोई दो राय नहीं की बीते 10 सालों में वाराणसी की तस्वीर बहुत बदली है और गंगा नदी पहले से काफी साफ हो चुकी है.


ये भी पढें: उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव में पहला ही चरण बीजेपी के लिए सबसे बड़ी लड़ाई?