Azam Khan News: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व काबीना मंत्री आजम खान, उनके बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम और पत्नी तंजीम फातिमा के जेल जाने के मामले पर कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव है. माना जा रहा है कि अपनी इस रणनीति के तहत कांग्रेस, छिटके हुए मुस्लिम मतों को अपनी ओर करने की कोशिश में है. इसी क्रम में सीतापुर में यूपी कांग्रेस के चीफ अजय राय और हरदोई में अन्य कांग्रेस नेता क्रमशः आजम खान और अब्दुल्ला आजम से मिलने गए थे लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई.
हालांकि कांग्रेस का ये कदम रामपुर में उसके लिए दोधारी तलवार पर चलने सरीखा हो सकता है. एक ओर जहां कांग्रेस आजम खान के समर्थन में सब कुछ करने का दावा और वादा कर रही है तो वहीं रामपुर की सियासत में नवाब परिवार से वह दूर भी हो सकती है. यूं तो नवाब परिवार से अब कांग्रेस के खास संबंध बचे नहीं लेकिन आजम के समर्थन से कांग्रेस की रामपुर इकाई के भीतर भी लोग बहुत खुश नहीं हैं. यह दावा किया है कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूर बानो ने.
पार्टी की पूर्व सांसद और रामपुर में आजम खान के खिलाफ राजनीति करने वाली बेगम नूर बानो ने हिन्दी अखबार नवभारत टाइम्स को दिए एक बयान में कहा कि आजम खान ने हमारा विरोध किया. ऐसा नहीं है कि केवल हम उन्हें पसंद नहीं करते हैं. बहुतेरे ऐसे हैं. हमारी पार्टी में भी कई लोग आजम खान को पसंद नहीं करते. अब अगर पार्टी आजम का समर्थन करने का फैसला करती है तो यह उसका मंतव्य है. मैं हमेशा से कांग्रेस में रही और आगे भी पार्टी में रहूंगी. देखते हैं... चुनाव तक अभी बहुत कुछ होगा.
दीगर है कि साल 2022 में रामपुर के विधानसभा सीट पर उपचुनाव में नवाब काजिम उर्फ नावेद मियां ने कांग्रेस के बजाय भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना का समर्थन किया था. इसके बाद कांग्रेस ने नावेद मियां को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. निष्कासन के बाद रामपुर के नवाब ने कहा था कि चाहे भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना पड़े लेकिन हम आजम खान का विरोध करेंगे.
रामपुर लोकसभा और विधानसभा सीट का क्या रहा है इतिहास?
रामपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां 1952 से चुनाव हो रहे हैं और अब तक के सभी चुनावो में से 10 बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. साल 2004 में पहली बार यह सीट समाजवाजी पार्टी के खाते में गई. तक साल 2004 और 2009 में जया प्रदा यहां से सांसद चुनी गईं थीं.
वहीं साल 2014 में बीजेपी फिर से इस सीट पर जीती. हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने सीट जीती और आजम खान सांसद बने. लेकिन साल 2022 में पहली बार इस सीट पर उपचुनाव हुआ और बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने जीत दर्ज की.
साल 2022 के उपचुनाव में कांग्रेस ने रामपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. बीजेपी और सपा के बीच सीधी लड़ाई थी. सपा के मोहम्मद आसिम रजा इस चुनाव में 42,192 मतों से बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी के हाथों हार गए थे. वहीं साल 2022 के ही विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें सपा के आजम खान ने बीजेपी के आकाश सक्सेना और कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान को भारी मतों से हराया था.
क्या वापसी कर पाएगी कांग्रेस?
जब रामपुर विधानसभा सीट पर साल 2022 में उपचुनाव हुए तब भी कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा. इस चुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को 34,100 मतों से हराया था. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी ने उतारने से नवाब परिवार नाराज था. इसलिए उसने आजाम खान के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी का समर्थन किया.
इन सब आंकड़ों और राजनीतिक बयानबाजियों को ध्यान में रख कर देखें तो कांग्रेस रामपुर में नवाब परिवार का विकल्प खोजने में लगी हुई है. जब साल 2022 में कांग्रेस ने नावेद मियां को पार्टी से निष्कासित किया था तब उन्होंने कहा था- 'अब रामपुर में कांग्रेस खत्म हो जाएगी.' यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस, रामपुर में नवाब परिवार का विकल्प खोज पाएगी या आजम के समर्थन से वह रामपुर समेत पूरे राज्य में मुस्लिम वोटों में अपना शेयर वापस हासिल करने में सफलता मिलेगी.