UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी बनाने के बाद संघमित्रा मौर्य ने बढ़ाया सस्पेंस, आखिर क्या है रणनीति?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिल्ली में नई पार्टी का गठन कर लिया और नाम रखा राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी निशाने पर थी बीजेपी और लक्ष्य था बीजेपी को सत्ता से दूर किया जाए.
Swami Prasad Maurya News: समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को अपनी नई पार्टी बना दी. जिस आधार पर उन्होंने पार्टी बनाई है उससे लगता है कि वो यूपी में अखिलेश यादव की ही मुश्किल बढ़ाने वाले हैं. उधर उनकी सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं को ललकार रही हैं. बदायूं से धर्मेंद्र यादव का टिकट कटने पर तंज कसा और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर जोश भरा. संघमित्रा मौर्य कह रही है कि उन्हें बीजेपी की जीत का 101% भरोसा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिल्ली में नई पार्टी का गठन कर लिया और नाम रखा राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी निशाने पर थी बीजेपी और लक्ष्य था बीजेपी को सत्ता से दूर किया जाए. पिता भले ही बीजेपी को बार-बार कोसे लेकिन बेटी की आस्था अभी भी बीजेपी में है. हौसले तो यहां तक मजबूत हैं कि बीजेपी दोबारा बदायूं से लोकसभा चुनाव लड़ाने मैदान में उतारेगी.संघमित्रा ने धर्मेंद्र यादव के टिकट कटने पर तंज कसा और शिवपाल यादव को हराने की हुंकार भरी.
संघमित्रा मौर्य को स्वामी प्रसाद मौर्य ही राजनीति में लाए.दोनों के बीच कोई कड़वाहट नहीं है. फिर ऐसा क्यों है कि बेटी बीजेपी के साथ है और पिता बीजेपी के खिलाफ. इस सस्पेंस को संघमित्रा मौर्य ने ही बढ़ा दिया है.कह रही हैं- दो महीने का इंतजार करिये.
'दो महीने इंतजार करिये'
यह पूछे जाने पर कि आपके पिता ने सपा छोड़ दी संघमित्रा ने कहा कि ज्यादा नहीं. दो महीने इंतजार करिये. परिणाम आपके सामने होगा.
पिता की रणनीति पर बेटी खामोश है.घर के भीतर जो प्लान बनता है.उसे बाहर लाना बेहतर नहीं समझती. उधर स्वामी प्रसाद मौर्य कह रहे. कि नई पार्टी बनाकर वो इंडिया गठबंधन में हिस्सेदारी मांगेगे.
RSSP के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इंडिया एलायंस का हम हिस्सा बनेंगें चुनाव लडने का फैसला हम इंडिया एलायंस से बात करके लेगें.
स्वामी प्रसाद मौर्य भले ही इंडिया गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जता रहे हों. लेकिन ऐसा हो पाएगा.ये कहना मुश्किल है. स्वामी प्रसाद मौर्य भले ही यूपी की राजनीति में बड़ा नाम हों लेकिन अपनी पार्टी के बाद उन्हें अभी भी ये साबित करना होगा कि आज भी वोटरों के बीच उनकी मजबूत पकड़ है.