India Alliance: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दरार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा ने पहले महाविकास अघाड़ी से अलग होने का ऐलान कर दिया तो वहीं अब संसद में भी दोनों के बीच तालमेल बिगड़ता दिख रहा है. सपा राष्ट्रीय स्तर पर अडानी के मुद्दे को उठाने से परहेज करती दिख रही है. यहां नहीं सांसद अवधेश प्रसाद की सीट बदले जाने और संभल मुद्दे को लेकर भी सपा-कांग्रेस के सुर अलग-अलग दिखे. 


सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस जिस तरह से अडानी के मुद्द को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है उससे समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दल असहज महसूस कर रहे हैं, वो उद्योगपतियों को इस तरह निशाने पर लेना ठीक नहीं मानते हैं. इसलिए अखिलेश यादव ने सदन में भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश नहीं की.


सपा-कांग्रेस में आई दूरी!
इसके साथ ही सपा इस बात से भी नाराज है कि यूपी के बाहर इंडिया गठबंधन में उसे कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है. यूपी में लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव दूसरे राज्यों में एंट्री की तैयारी कर रहे थे. उन्हें उम्मीद थी कि इंडिया गठबंधन में रहते हुए दूसरे दल उन्हें समर्थन दे सकते हैं लेकिन हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र समेत किसी राज्य में सपा को सीट बंटवारे में खास तवज्जों नहीं मिली. महाराष्ट्र में सपा को दो ही सीटें दी गईं, जिससे भी पार्टी में नाराजगी बनी हुई थी.


यूपी की नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में भी सपा ने कांग्रेस को दो सीटों का ऑफ़र किया लेकिन फिर कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया. इधर लोकसभा में सीट अरेंजमेंट के दौरान सपा सांसद अवधेश प्रसाद की सीट पिछली पंक्ति में कर दी गई. सपा को ये बात भी खटक गई क्यों वो अवधेश प्रसाद को ट्रॉफी की तरह अपने साथ आगे की सीट पर बिठाया करते थे. हालांकि सपा ने इस पर खुलकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन ये ज़रूर कहा कि कांग्रेस को गठबंधन के सिटिंग अरेंजमेंट को देखना चाहिए था. 


कांग्रेस को लेकर समाजवादी पार्टी के मनमुटाव की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जब इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की बात कही तो भी सपा ने उनका खुलकर समर्थन किया. ज़ाहिर है इस तरह की बातों से यूपी में इंडिया गठबंधन के मिशन 2027 पर प्रतिकूल असर दिखाई दे सकता है. अगर इसे अभी संभालने की कोशिश नहीं की गई तो आने वाले समय में गठबंधन की दरार और बढ़ सकती है.