BSP की मीटिंग में BJP नेता को क्यों ढूढ़ने लगीं मायावती? नहीं मिले तो चलाया चाबुक
UP Politics: बसपा में चर्चा हैं कि इसी लापरवाही और किरकिरी के बाद पूर्व सांसद को सहारनपुर, बरेली और मुरादाबाद मंडल की जिम्मेदारी से भी हटा दिया गया.
UP Politics: सियासत के खेल भी बड़े निराले हैं. BSP के नेताओं ने बीजेपी नेता को BSP का मंडल इंचार्ज बना डाला और लखनऊ से लिस्ट भी जारी करा दी. लेकिन लिस्ट में नाम आने के बावजूद जब मंडल इंचार्ज बनाए गए बीजेपी नेता बहनजी की मीटिंग में नहीं पहुंचे तो बहनजी नाराज हो गई हैं. बताया जा रहा है कि इसके बाद पूर्व सांसद मुनकाद अली पर गाज गिर गई है और उनसे बरेली, मुरादाबाद और सहारनपुर मंडल की जिम्मेदारी से हटा दिया है.
BSP जैसी बड़ी पार्टी में इतनी बड़ी लापरवाही ने किरकिरी कराकर रख दी है, इतनी बड़ी गलती और इतनी बड़ी चूक से अब BSP नेताओं को पसीना आ गया है. मेरठ से लखनऊ तक फोन घनघना रहें हैं. लापवाही भी छोटी नहीं बहुत बड़ी है. बात बीजेपी नेता योगेंद्र जाटव की हो रही है.
उन्होंने ना तो बीजेपी छोड़ी और न बीएसपी ज्वाइन की. अब BSP के नेताओं की लापरवाही और अति उत्साह देखिए कि बहन जी के सामने योगेंद्र जाटव का नाम रखकर उन्हें मेरठ के 6 जिलों का मंडल इंचार्ज बनवा दिया गया, लेकिन लखनऊ की बड़ी मीटिंग में जब योगेंद्र जाटव नहीं पहुंचे तो फिर चर्चाएं होनी लगी. जानकी मिली है कि बहनजी ने जब BSP के बड़े नेताओं से सवाल किया तो वो बगले झांकने लगे. बताया जा रहा है बहनजी बेहद गुस्से में हैं कि कौन है जिसने इतना बड़ा झूठ बोल दिया.
योगेंद्र जाटव नहीं आए, प्रशांत और दिनेश काजीपुर की हुई घर वापसी
BSP अपने उन बड़े सिपाहियों की घर वापसी कर रही है जिनकी अच्छी रिपोर्ट नेता दे रहें हैं. मेरठ में प्रशांत गौतम की घर वापसी हुई तो उन्हें मेरठ के 6 जिलों की जिम्मेदारी सौंप दी गई और मेरठ मंडल इंचार्ज बना दिया गया. प्रशांत गौतम कई बड़े पदों पर BSP में रहें हैं. उनके साथ ही योगेंद्र जाटव का नाम भी लिस्ट में जारी कर दिया गया और उन्हें भी मेरठ मंडल की जिम्मेदारी दे दी है, लेकिन योगेंद्र जाटव ने जब बीजेपी छोड़ी ही नहीं फिर कैसे उन्हें ये जिम्मेदारी किसके कहने पर दी गई ये बड़ा सवाल है.
अब योगेंद्र जाटव की जगह दिनेश काजीपुर को भी मेरठ मंडल के तीन जिलों पर मंडल इंचार्ज बनाया गया है. इन जिस वक्त ये नाम फाइनल हुए थे उस वक्त मुनकाद अली मेरठ मंडल के भी प्रभारी थे. चर्चा है कि BSP के एक नेता के कहने पर अति उत्साह में ये फैसला लिया गया जो उल्टा पड़ गया. योगेंद्र जाटव फिलहाल बीजेपी में ही हैं और BSP में गए ही नहीं. बस यहीं से BSP के कई नेताओं की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मायावती इसको लेकर बेहद गुस्से में हैं कि कौन है इसके पीछे कि बिना BSP ज्वाइन कराए ही जिम्मेदारी दे दी गई और अब किरकिरी हो रही है.
मुनकाद अली को सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली मंडल से हटाया, बुंदेलखंड भेजा
BSP में चर्चाएं चल रहीं हैं कि इसी लापरवाही और किरकिरी के बाद पूर्व सांसद मुनकाद अली को सहारनपुर, बरेली और मुरादाबाद मंडल की जिम्मेदारी से भी हटा दिया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि अभी कुछ दिन पहले ही मुनकाद अली को मेरठ मंडल की जिम्मेदारी से हटाकर सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडल की जिम्मेदारी दी थी और कुछ ही दिन में उनसे ये जिम्मेदारी भी वापिस ले ली गई. जबकि यूपी विधानसभा उपचुनाव नजदीक हैं और सहारनपुर मंडल की मीरापुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव में BSP ने पूरी ताकत झोंक रखी है. मुनकाद अली को अब बुंदेलखंड और कानपुर की जिम्मेदारी दी गई है.
योगेंद्र जाटव बोले- मैं भाजपाई, मेरा BSP से क्या मतलब-
बीजेपी नेता योगेंद्र जाटव को BSP का कोर्डिनेटर बनाए जाने के सवाल पर जब उनसे बात की गई तो बोले, मैं अब भाजपा का सच्चा सिपाही हूं, मैं बीजेपी में बहुत कुछ हूं और पीएम मोदी और सीएम योगी की नीति से प्रभावित होकर ही बीजेपी में आया था. अब यहां के सिवाय कहीं जाने का मन है ही नहीं. BSP के किस नेता के कहने पर मेरा नाम BSP में दिया गया मुझे नहीं पता. हो सकता है किसी ने मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश की हो. जब मैंने भाजपा छोड़ी ही नहीं और BSP ज्वाइन ही नहीं की, फिर मुझे कैसे BSP नेता बना दिया समझ में नहीं आया.
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पूर्व सांसद मुनकाद अली बोले- बहनजी जहां की जिम्मेदारी देंगी वहां जाऊंगा
बीजेपी नेता योगेंद्र जाटव को BSP का मंडल इंचार्ज बनाए जाने की लापरवाही की वजह से पूर्व सांसद मुनकाद अली को हटाने की चर्चा है. इस पर जब हमने मुनकाद अली से बात की तो बोले, किसने नाम दिया, किसको जिम्मेदारी मिली मुझे नहीं पता, न मामला मेरे संज्ञान में था. इस मामले में मुझे हटाने की जो चर्चाएं चल रहीं हैं वो गलत हैं. BSP में एक व्यवस्था है उसके तहत अब मुझे बुंदेलखंड और कानपुर की जिम्मेदारी दी है और बहनजी जहां भेजेंगी वहां जाऊंगा. वहीं बीएसपी के मेरठ जिलाध्यक्ष जय पाल सिंह पाल का कहना है कि योगेंद्र जाटव से मौखिक सहमति के बाद ही लखनऊ नाम भेजा गया था, अब वो मुकर गए हैं, हो सकता है ज्यादा दबाव में हों.