Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी ने मंगलवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती को एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा. इस बैठक में यूपी और देशभर के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही बैठक में आगामी चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और यूपी उपचुनाव को लेकर चर्चा की जाएगी. 


बसपा सुप्रीमो मायावती साल 2003 के बाद से लगातार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी जाती रहीं हैं और इस बार भी उन्हें ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब मायावती पहले ही अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित कर चुकी है तो फिर क्यों वो अब भी पार्टी का अध्यक्ष बने रहना चाहतीं हैं?


मायावती के अध्यक्ष बनने की वजहें-
मायावती ने सोमवार को एक पोस्ट के जरिए भी दावा किया था कि वो फिलहाल राजनीति से संन्यास लेने के मूड में नहीं है और सक्रिय राजनीति में अपनी भूमिका निभाती रहेंगी. राजनीतिक जानकारों की मानें तो आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाने के बावजूद बसपा के लिए मायावती ही सबसे मजबूत अध्यक्ष साबित हो सकती है. इसके पीछे कई वजह मानी जाती है. 


दलितों की सबसे बड़ी नेता
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि भले ही बसपा इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हो लेकिन मायावती की स्वीकार्यता कम नहीं है. आज भी वो दलितों की सबसे बड़ी नेता कही जातीं हैं. यही नहीं दलितों को भी उन पर पूरा भरोसा है. दूसरे दलों के नेता भी उनका सम्मान करते हैं. यही नहीं जब दूसरे दलों से गठबंधन की बात होती है तो भी बड़े से बड़े दल आगे बढ़कर उनसे ही बात करते हैं. 


बसपा के लिए चुनौती बने चंद्रशेखर आजाद!
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी पिछले कुछ समय में बसपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं. कई राज्यों में वो बसपा के विकल्प के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहे हैं. बावजूद इसके चंद्रशेखर आजाद कभी मायावती के खिलाफ कोई बयान नहीं देते. यही नहीं वो अक्सर मायावती को दलितों की सबसे बड़ी नेता बताते हैं. लेकिन, अगर आकाश आनंद की बात हो तो वो उनपर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. चंद्रशेखर उन्हें चांदी की चम्मच लेकर आने वाले नेता भी बोल चुके हैं. ऐसे में आकाश आनंद के लिए चंद्रशेखर का मुकाबला करना आसान नहीं होगा. 


आकाश आनंद पूरी तरह तैयार नहीं?
आकाश आनंद को बसपा का युवा कैडर पसंद करता है. लोकसभा चुनाव में उनके आक्रामक भाषणों ने भी काफी सुर्ख़ियां बटोरी थी, लेकिन इस दौरान वो जोश में होश खोते भी दिखाई दिए. उन्होंने बीजेपी को लेकर ऐसा बयान दिया जिसके बाद विवाद हो गया था. जिसके बाद मायावती ने उन्हें सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया था. हालांकि चुनाव के बाद पार्टी नेताओं की मांग पर उन्हें फिर से उत्तराधिकारी बनाया गया. लेकिन, मायावती ख़ुद ये कह चुकी है कि आकाश आनंद अभी परिपक्व नहीं हुए हैं. 


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