Rajya Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. केंद्र की लड़ाई के बीच प्रदेश में राज्यसभा को लेकर भी समाजवादी पार्टी (SP) और बीजेपी (BJP) में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकती है. यूपी में अगले साल अप्रैल के महीने में दस राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं. जिसके लिए अभी से जोड़ तोड़ और सियासी समीकरण बिठाने की रणनीति शुरू हो गई है. 


यूपी में अगले साल दोहरी जंग देखने को मिलेगी, मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 2 अप्रैल को यूपी से राज्यसभा की दस सीटें खाली हो रही हैं. इनमें नौ सीटे बीजेपी के पास हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के पास एक सीट है, जिससे जया बच्चन सांसद हैं. ऐसे में लोकसभा से पहले मार्च महीने में राज्यसभा के लिए चुनाव की घोषणी की जा सकती है. 


लोकसभा से पहले राज्यसभा की टक्कर
पिछली बार 2018 में जब राज्यसभा का चुनाव हुआ था, तब बसपा से गठबंधन की कोशिश में सपा ने बसपा उम्मीदवार भीम राव अंबेडकर को समर्थन दिया था, हालांकि क्रॉस वोटिंग में भाजपा का उम्मीदवार जीत गया और बीजेपी ने नौ सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि सपा से सिर्फ जया बच्चन हीं जीतीं थीं. 


समाजवादी पार्टी को फायदा होना तय
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद अब सियासी समीकरण बदल गया है. ऐसे में भाजपा के लिए सभी सीटों को बचाना मुश्किल होगा, जबकि सपा के पास राज्यसभा में अपनी संख्या बढ़ाने का मौका होगा. विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के हिसाब से एक प्रत्याशी को जिताने के लिए 37 वोटों की जरुरत होगी. सपा गठबंधन के पास कुल 118 विधायक हैं. ऐसे में सपा तीन सीटें जीतने की स्थिति में होगी. वहीं एनडीए गठबंधन के पास 279 विधायक है ऐसे में सात सीटों पर भाजपा की जीत पक्की है. 


इसके अलावा कांग्रेस के पास दो, जनसत्ता दल के पास दो और बसपा का एक विधायक है. जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है. ऐसे में चुनाव से पहले इन दलों से भी तालमेल और जोड़ने तोड़ने की कवायद जारी है. इसके साथ ही राज्यसभा सांसद के लिए लॉबिंग भी शुरू हो गई है. 


इन नेताओं की सीटें हो रही है खाली
राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन का कार्यकाल खत्म हो रहा है. माना जा रहा है कि अखिेलश यादव उन्हें फिर मौका देने के मूड में नहीं है. वो अपने परिवार से किसी को राज्यसभा में भेज सकते हैं. इस रेस में तेज प्रताप यादव का नाम रेस में आगे चल रही है. इसके अलावा एक मुस्लिम नेता पर भी दांव लगाया जा सकता है. वहीं बीजेपी से अनिल अग्रवाल, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, विजय पाल तोमर, सुधांशु त्रिवेदी, हरनाथ सिंह यादव का कार्यकाल खत्म हो रही है. इनमें से बीजेपी सुधांशु त्रिवेदी को छोड़कर किसी को दूसरा मौका देने के मूड में नहीं है. बीजेपी का फोकस पिछड़ों और दलितों पर रह सकता है. 


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