जनता के 828 करोड़ रुपये दबाये बैठे हैं यूपी के बिल्डर्स, नोएडा से सबसे ज्यादा शिकायतें, पढ़ें ये रिपोर्ट
यूपी में बिल्डर्स को लेकर जनता की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही रही है. यूपी रेरा ने ऐसे बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई की है. 14 पर जुर्माना ठोंका गया है.
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लखनऊ: सुनहरे आशियाने का सपना दिखाकर कई नामी बिल्डर्स जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे पर डाका डालने का काम कर रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले नोएडा, लखनऊ और गाजियाबाद से सामने आ रहे हैं. यूपी रेरा के आंकड़ों की माने तो प्रदेश में अब तक जितनी आरसी यानी रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, उनमें से करीब 828 करोड़ से अधिक की रिकवरी होना बाकी है. यानी ये बिल्डर्स जनता की कमाई के 828 करोड़ से अधिक दबाए बैठे हैं. पढ़ें लखनऊ से संवाददाता शैलेश अरोड़ा की यह रिपोर्ट.
जनता के 828 करोड़ रुपये दबाये बैठे हैं बिल्डर्स
यूपी रेरा के पास लगातार जनता की शिकायतें आ रही हैं कि, उनको समय से बिल्डर ने पजेशन नहीं दिया या एग्रीमेंट में जो कहा गया प्रॉपर्टी में नहीं मिला या अन्य समस्याएं. अलग अलग मामलों में यूपी रेरा प्रदेश में बिल्डर्स के पास फंसे जनता के करीब 929 करोड़ रुपये वसूलने के लिए 3,161 आरसी जारी कर चुका है. लेकिन इनमे से महज 98 करोड़ के करीब ही वसूली हो पाई है. अब भी ये बिल्डर्स जनता के करीब 828 करोड़ दबाए बैठे हैं. जिन बिल्डर्स से वसूली होनी है उनमें 95 फीसदी आरसी नोयडा, लखनऊ और गाज़ियाबाद में बिल्डर्स के लिए जारी की गई है. इन तीन शहरों के बिल्डर के लिए कुल 3014 आरसी जारी हुई हैं. बाकी पूरे प्रदेश के अन्य जिलों में मिलाकर कुल 147 आरसी जारी हुई है. जनता की कमाई पर डाका डालने के मामले में सबसे आगे नोएडा के बिल्डर्स हैं. यहां अब तक 1849 आरसी जारी हुई हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर राजधानी लखनऊ में बिल्डर्स जनता के कई सौ करोड़ दबाए बैठे हैं.
अबतक 100 करोड़ रुपये की वसूली
वसूली के ये आंकड़े जनवरी तीसरे हफ्ते तक के हैं. रेरा के अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद भी रिकवरी हुई है. रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तक 590 मामलों में करीब 100 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं. अगर इन आंकड़ों को देखें तो भी बिल्डर्स के पास जनता के 828 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं. ये रकम तो वो है जिसके एवज में आरसी जारी की जा चुकी हैं. इसके अलावा न जाने कितना पैसा और इन बिल्डर्स के पास दबा है. असल में आरसी जारी होने के बाद वसूली की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होती है. उन्हें भू-राजस्व की तरह इस रकम की वसूली करनी होती है. कई मामलों में तो बिल्डर्स कोर्ट चले जाते हैं, लेकिन कई मामलों में जिलाधिकारियो की लापरवाही या कहें इन बिल्डर्स की रसूख में मामला दबा रहता है. अब इस रकम की वसूली के लिए यूपी रेरा इन डिफाल्टर बिल्डर्स के साथ बैठकें शुरू करने जा रहा है.
14 बिल्डर्स पर जुर्माना
यूपी रेरा लगातार फ्रॉड करने वाले बिल्डर्स पर जुर्माना लगा रहा है. ताजा मामलों की बात करे तो 5 फरवरी को ही 14 बिल्डर्स पर जुर्माना लगाया गया है. इन्हें 30 दिन का वक्त दिया गया है. अगर 30 दिन में जुर्माने की रकम नहीं भरी तो इनकी आरसी जारी की जाएगी.
इनमें पार्थ इंफ्राबिल्ड पर 35,77,860 रुपये और रेडिकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर पर 23,26,760 रुपये जुर्माना
IVR प्राइम डेवलपर पर 19,14,660 रुपये, लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10,74,850 रुपये जुर्माना
हर्षा एसोसिएट्स पर 15,25,400 रुपये, पार्श्वनाथ डेवलपर पर 10,39,440 रुपये जुर्माना
ग्रीन बे इंफ्रास्ट्रक्चर पर 6,23,220 रुपये और ग्रीन व्यू सहकारी आवास समिति पर 14,59,260 रुपये जुर्माना
क्वालिटी टाउनशिप पर 5,66,365 रुपये और रुद्रा बिल्डवेल प्रोजेक्ट पर 11,64,240 रुपये जुर्माना
बुलैंड बिल्डटेक पर 6,08,950 रुपये और किंडल इंफ्राहाइट्स पर 9,41,535 रुपये जुर्माना
जेएसएस बिल्डकॉन पर 17,54,055 रुपये और सुपरटेक पर 7,64,940 रुपये जुर्माना
यूपी रेरा ने पिछले कुछ समय मे 24 प्रमोटर्स पर 5 करोड़ 86 लाख का जुर्माना लगाया है. इसमे सिर्फ निजी बिल्डर ही नहीं बल्कि लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी तक शामिल है. जिन पर जुर्माना लगाया गया, उनमे अगर टॉप टेन प्रमोटर्स की बात करें तो एलडीए का नाम दूसरे नंबर पर है. एलडीए पर 57,14,690 रुपये जुर्माना लगाया गया है. पहले नंबर पर सर्वाधिक 1,73,41,860 रुपये जुर्माना पार्थ इंफ्राबिल्ड पर लगाया गया है.
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