UP News: यूपी में सपा के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) का बीजेपी के एम-वाई (मोदी-योगी) से मुकाबला होगा. समाजवादी पार्टी नए साल में अपने एम-वाई (मुस्लिम-यादव) आधार को मजबूत करने और बीजेपी के एम-वाई (मोदी-योगी) को चुनौती देने की कोशिश कर रही है.पिछला एक साल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा है और पार्टी अब 2023 के लिए अपनी रणनीति पर फिर से काम कर रही है.
पार्टी अपने संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन और शिवपाल सिंह यादव के साथ तालमेल के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है.सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी ड्राइंग रूम राजनेता होने के आरोपों का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने महाराजगंज जिला जेल में स्थानांतरित किए जाने से एक दिन पहले कानपुर जेल में अपनी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी से मुलाकात की. वो झांसी जेल का दौरा भी करेंगे, जहां एक अन्य सपा विधायक दीपचंद यादव बंद हैं.
2024 के चुनावों के लिए पार्टी के लिए ये अहम भूमिका निभाएंगे शिवपाल यादव
संकटग्रस्त पार्टी नेताओं से मिलने का अखिलेश का फैसला स्पष्ट रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सकारात्मक संदेश देने के लिए बनाया गया है. 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी ने अपने तीन सहयोगियों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), महान दल और जनवादी पार्टी को खो दिया है, लेकिन सपा ने शिवपाल को लाकर नुकसान की भरपाई कर ली है. शिवपाल यादव अपने संगठनात्मक कौशल और पार्टी कार्यकर्ताओं को लामबंद करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. मौका मिलने पर वह 2024 के चुनावों के लिए पार्टी को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. सपा के पाले में उनकी वापसी से पार्टी के यादव वोट आधार में विभाजन को भी रोका जा सकेगा.
शिवपाल की पार्टी में वापसी पार्टी के लिए अमृत साबित होगी- सपा विधायक
नाम न छापने की शर्त पर सपा के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, शिवपाल की पार्टी में वापसी पार्टी के लिए अमृत साबित होगी और उन दिग्गजों को भी प्रेरित करेगी, जो अखिलेश-शिवपाल के बीच दूरियां बढ़ने के बाद अपने खोल में सिमट गए थे.पार्टी सूत्रों के मुताबिक अखिलेश आम चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत करने के अलावा नए सहयोगियों की ओर देख रहे हैं.वह बसपा और कांग्रेस की ओर देखने के बजाय आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) जैसी छोटी पार्टियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. विधायक ने कहा, "वे जानते हैं कि सपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो उत्तर प्रदेश में बीजेपी को चुनौती दे सकती है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया और अपनी सीटों को दोगुना किया, यह इस बात का सबूत है कि अकेले सपा ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है."
अब मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ बोल रहे हैं अखिलेश यादव
2024 के चुनावों के लिए सपा की रणनीति में एक और बड़ा बदलाव मुसलमानों का खुलकर समर्थन करने का उसका फैसला है. अखिलेश, जब से उन्होंने 2017 में पार्टी की कमान संभाली है, हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहे हैं और मुस्लिम समर्थक छवि को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अखिलेश अब मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ बोल रहे हैं. उन्होंने महसूस किया है कि सपा को अपने दिवंगत पिता के मुस्लिम-यादव के जाति सूत्र का पालन करना चाहिए. उन्होंने जेल में इरफान सोलंकी से मुलाकात की, यह रणनीति का एक हिस्सा है.
आने वाले दिनों में अखिलेश के सामने मुख्य चुनौती शिवपाल सिंह यादव के समर्थकों का 'सम्मानजनक एकीकरण' है. उन्हें पार्टी में शिवपाल को सम्मानजनक स्थान देने की भी उम्मीद है.सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यह सुनिश्चित करेंगे कि आम चुनाव के लिए टिकट वितरण में जीतने की क्षमता मुख्य कारक हो. अखिलेश के करीबी माने जाने वाले एक पूर्व एमएलसी ने कहा, यह हर सीट का मामला है और पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि उम्मीदवारों का चयन सावधानी से किया जाए.
हालांकि अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बीजेपी के पास एक संगठनात्मक मशीनरी है, जहां सपा का अभी तक कोई मुकाबला नहीं है. इसके अलावा अखिलेश एक व्यक्ति की सेना का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि बीजेपी के पास कई नेता हैं जो चुनावों के दौरान पूरे राज्य में भ्रमण करते हैं.