Uttar Pradesh News: नेपाल (Nepal) से डेढ़ सौ लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ विष्‍णुवतारी शालिग्राम देवशिला रथ (Shaligram Devshila Rath) बुधवार की देर रात रामनगरी अयोध्या पहुंच गई। भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली शालिग्राम शिला का राम नगरी में भव्य अभिनंदन किया गया. शालिग्राम यात्रा अयोध्या पहुंची तो यहां की फिजाओं में जय श्री राम गूंजने लगा. लोगों ने पुष्प वर्षा के साथ जमकर आतिशबाजी भी की. भगवान राम की नगरी में शिला के स्वागत के लिए राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी काफी देर तक इंतजार करते रहे.


नेपाल से बिहार होते हुए देवशिला अयोध्या की राम कारसेवक पहुंच चुकी है. ऐसे में जिन रास्तों से यह देवशिला लाई गई है, उन्हीं रास्तों से त्रेता युग में भगवान श्री राम  बिहार होते हुए जनकपुर गए थे. इसीलिए लोगों ने दो शिलाओं में से बड़ी को श्री राम मान लिया तो छोटी को माता सीता माना. यात्रा के दौरान दृश्य ऐसा था कि मानों सीता की विदाई हो रही हो और लोग दुखी इसलिए भी थे कि एक बार श्री राम गए तो वापस फिर कभी मिथिला नहीं आए, तो इस बार भी राम जा रहे हैं तो वापस आएंगे कि नहीं. दरअसल, गुरुवार 2 फरवरी को अयोध्या के श्रीराम कारसेवक पुरम में लाई गई इन दोनों शिलाओं की पूजा किस तरह होगी. इसको लेकर हर किसी के मन में उत्सुकता जरूर होगी. यह जानने के पहले यह जान लीजिए कि यह दोनों शिलाएं नेपाल सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दान स्वरूप दिया है. 


नेपाल सरकार के तरफ से आएं दो प्रतिनिधि
शिलाओं को हस्तांतरित करने के लिए प्रतिनिधि के तौर पर नेपाल से जानकी धाम के मुख्य महंत और वहां के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि भी शिला के साथ आए हैं. इसलिए शास्त्रनुसार पूरे विधि विधान से नेपाल सरकार की तरफ से यह दोनों प्रतिनिधि शिलाओं को श्री राम मंदिर ट्रस्ट को सौंपेंगे. शिला सौंपने के दौरान जो विधि विधान और दान अर्पित करने की जो पद्धति होती है वैसा ही कुछ आपको श्रीराम कारसेवक पुरम में देखने को मिलेगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने बताया कि यहां पूजा केवल इतनी होगी कि नेपाल से आए प्रतिनिधि इसे शास्त्र विधि से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को शिला समर्पित करेंगे. अब सवाल उठता है कि क्या नेपाल से लाई गई इन्हीं देव शिलाओं से श्री राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होने वाले रामलला की मूर्ति बनाई जाएगी, तो इसका जवाब सीधे तौर पर इतना भर है कि शिलाओं के हस्तांतरण के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक होगी. 


ट्रस्ट के लोगों ने किया स्वागत
इस बैठक के दौरान शास्त्रीय विशेषज्ञ धार्मिक विद्वान और कला की दृष्टि से विशेषज्ञ भी मौजूद होंगे. इसी बैठक के दौरान यह तय होगा कि इन शिलाओं से गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठित किए जाने वाले रामलला की मूर्ति तैयार होगी यह फिर इनका उपयोग राम दरबार यह अन्य कहीं किया जाएगा. कामेश्वर चौपाल ने आगे बताया कि इसमें सारे ट्रस्ट के लोगों ने कुछ निर्णय लिया है, कितनी बड़ी मूर्तियां बनेंगी? कैसी बनेगी? स्वरूप क्या होगा? इन बिंदुओं पर विचार हुआ है, फिर से ट्रस्ट के लोग बैठेंगे शास्त्रीय विशेषज्ञ और कला की दृष्टि से विशेषज्ञ भी जो निर्णय करेंगे वह आगे किया जाएगा. शालिग्राम शिला यात्रा की अगुवाई राम जानकी मंदिर नेपाल के महंत राम पतेश्वर दास, नेपाल सरकार के पूर्व गृहमंत्री विमलेंद्र निधि सहित विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज व राम मंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल कर रहे थे. यात्रा के साथ नेपाल से करीब 200 भक्त भी अयोध्या पहुंचे हैं.



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