Ram Mandir: चंपत राय बोले- जनवरी 2024 में मंदिर में विराजेंगे रामलला, साथ ही बताई ये बहुत रोचक बात
Ayodhya : राम जन्मभूमि निर्माण कार्यशाला में 1990 से पत्थरों के तराशने का सिलसिला शुरू हुआ था. बता दें मंदिर के निर्माण में ईंट और लोहे का प्रयोग नहीं हो रहा है.
Ayodhya News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जनवरी 2024 में राम भक्तों को खुशखबरी देने जा रहा है. मकर संक्रांति के बाद जनवरी के तीसरे सप्ताह में रामलला अस्थाई मंदिर से अपने भव्य और दिव्य नव निर्माणाधीन मंदिर में आसीन हो जाएंगे. यही नहीं प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के बाद भक्त रामलला का दर्शन पूजन भी कर सकेंगे. रामभक्तों के लिए रामनवमी का दिन दर्शन के लिए बहुत खास होगा.
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में कुल 475000 घनफिट पत्थरों का इस्तेमाल
इस दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें रामलला के ललाट को सीधे प्रकाशित करेंगी. श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में कुल 475000 घनफिट पत्थरों का इस्तेमाल होगा. जिसमें से लगभग आधे पत्थरों को तराशने का कार्य अभी चल रहा है. लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. राम भक्तों को भव्य और दिव्य मंदिर में अपने आराध्य के विराजने का इंतजार व्याकुलता से है. अब राम मंदिर ट्रस्ट ने साफ कर दिया है कि मकर संक्रांति के बाद जनवरी 2024 में रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान होंगे.
जनवरी के तीसरे सप्ताह में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
हालांकि अभी इसके लिए तारीख और दिन का चयन नही हुआ है, मगर मंदिर ट्रस्ट के सूत्रों की माने तो जनवरी के तीसरे सप्ताह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. क्योंकि मकर संक्रांति के पहले तक सूर्य दक्षिणायन में होंगे. जिस समय कोई शुभ कार्य नहीं हो सकता इसलिए मकर संक्रांति के बाद जब सूर्य उत्तरायण में हो जाएंगे, तो वैदिक ब्राह्मणों और धार्मिक विद्वानों से मंत्रणा के बाद उचित मुहूर्त निकाला जाएगा. इसी खास मुहूर्त पर रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे.रामलला के मंदिर में विराजमान होने को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से सवाल किया गया. जनवरी 2024 में रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे, लेकिनअभी दिन नहीं निकाला है. हम इसके लिए दिन निकालेंगे.
मंदिर के निर्माण में हीं हो रहा ईंट और लोहे का प्रयोग
अयोध्या का श्री राम जन्मभूमि मंदिर शिल्प कला का भी अद्भुत नमूना होगा. इसके निर्माण के पहले देश के बड़े प्रमुख मंदिरों के निर्माण की शैली को समझा गया और उसके बाद निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों और इंजीनियरों ने पूरा खाका तैयार किया है. मंदिर के निर्माण में ईंट और लोहे का प्रयोग नहीं हो रहा है. पूरा मंदिर पत्थरों से तैयार किया जा रहा है. जो एक के ऊपर एक खांचों में फिक्स होंगे. इसके लिए 475000 घनफिट पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा. इतने पत्थर केवल श्री राम मंदिर के निर्माण में लगेंगे इसके अलावा रिटेनिंग वॉल और परकोटे में लगने वाले पत्थर अतरिक्त होंगे.
1990 से पत्थरों के तराशने का काम हुआ था शुरू
चंपत राय ने इस बारे में बताते हुए कहा " केवल मंदिर में ही 475000 घन फिट पत्थर लगेंगे इसके अलावा रिटेनिंग वॉल में पत्थर है परकोटा में पत्थर लगेगा सब जगह पत्थर लगेगा". उन्होंने कहा ढाई यह पौने तीन लाख घन फिट पत्थर अभी तराशा जाना बाकी है. जैसी डिमांड आ रही है वैसे वैसे तराशा जा रहा है. क्रमबद्ध तरीके से जिसकी जरूरत पहले है उसको पहले जिसकी जरूरत बाद में है उसको बाद में" अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि निर्माण कार्यशाला में 1990 से पत्थरों के तराशने का सिलसिला शुरू हुआ और अभी तक जारी है. बता दें क्रमबद्ध तरीके से पत्थरों को अभी भी तेजी से तराशा जा रहा है.
खगोल वैज्ञानिकों की मदद से इस तरह की व्यवस्था की जा रही है कि सूर्य की किरणें रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे भगवान राम के ललाट को प्रकाशित करें जाहिर है इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए राम भक्त बड़ी संख्या में पहुंचेंगे और इस खास मौके पर रामलला के दर्शन की महत्ता ही विशेष होगी. इस बारे में चंपत राय ने कहा "जो एक बार बता दिया है वह होगा. सूर्य की किरणें भगवान राम के ललाट को रामनवमी के दिन दोपहर 12 प्रकाशित करेंगी."
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