लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर से जुड़ी एक के बाद एक खामियां सामने आने के बाद भी बिजली विभाग के अधिकारी दोषियों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें बचाने में लगे हैं. ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों को न तो मुख्यमंत्री के आदेश की परवाह है और न ही विभागीय मंत्री की. तभी अगस्त से अब तक तीन बार अलग- अलग मामले सामने आने के बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई. वहीं मामले में ऊर्जा मंत्री ने भी माना कि स्मार्ट मीटर में गड़बड़ियां मिली हैं. उन्होंने कहा कि दोषी चिन्हित हुए हैं और जल्द ही सब पर कार्रवाई होगी.


उल्लेखनीय है कि हाल ही मे 12 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर अचानक बंद हो गए थे. इनमें हज़ारों ऐसा उपभोक्ता थे, जिनका बिजली बिल भी जमा था. शुरुआती जांच में सामने आया कि गलत कमांड की वजह से उनके मीटर भी बंद हो गए थे, जिनका बिल जमा था. इसे एक तकनीकी खामी बताया गया था. हालांकि ये तकनीकी खामी थी या साजिश इसका खुलासा करने के लिए ऊर्जा मंत्री के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने एसटीएफ जांच के आदेश दिए. वहीं पावर कॉर्पोरेशन ने भी अपने स्तर से जांच समिति गठित की. ढाई महीने बाद भी आज तक किसी विभागीय जिम्मेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.


फिलहाल, स्मार्ट मीटर की भार जंपिंग से जुड़ी गड़बड़ी की रिपोर्ट सामने आई है. सेंटर पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट भेजे गए स्मार्ट मीटर की जांच में गड़बड़ी सामने आई है. असल में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर की गड़बड़ी को लेकर जनवरी में ऊर्जा मंत्री से शिकायत की थी. 4518 स्मार्ट मीटर का भार तीन गुना से अधिक जम्प कर गया था. शुरुआती जांच के बाद कमेटी ने सभी बिजली कंपनियों से स्मार्ट मीटर के नमूने लेकर जांच के लिए सीपीआरआई को भेजे थे.


हालांकि, ये रिपोर्ट भी अधिकारी दबा कर बैठ गए. मामला खुला तो खुद को फंसता देख खेल करने वाले अभियंता जांच रिपोर्ट के गुम होने की बात कहने लगे. ऐसे में बड़ा सवाल यह है के मंत्री के निर्देश पर बैठी जांच की रिपोर्ट गायब कैसे हो गई. इस मामले में भी मंत्री के निर्देश पर पावर कॉरपोरेशन के एमडी ने रिपोर्ट को दबाने या गायब करने के मामले में जवाब तलब किया. एक महीने से ऊपर बीत चुका और अब ये मामला भी ठंडे बस्ते में दिख रहा है.


इसी 27 अक्टूबर को उपभोक्ता परिषद ने फिर एक दबी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की. सामने आया कि 1 साल पहले हुई जांच में स्मार्ट मीटर 30 गुना तेज चलते मिले. जिस उपभोक्ता की मीटर रीडिंग 29 यूनिट होनी चाहिए थी वो 868 यूनिट निकली यानि 839 यूनिट अधिक. अब सवाल ये की आखिर स्मार्ट मीटर के मामले पर बिजली विभाग मामला दबाने में क्यों लगा है ?. मामले में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का आरोप है कि असल में सारा खेल मीटर निर्माता कंपनियों को बचाने के लिए है. अवधेश वर्मा ने बताया कि स्मार्ट मीटर में 90 फीसदी जीनस कंपनी के हैं.


वहीं स्मार्ट मीटर की गड़बड़ी के मामले पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं को कैसे राहत दें. इसलिए स्मार्ट मीटर का अभियान था. उन्होंने माना कि स्मार्ट मीटर की बहुत कमियां सामने आई, जिन्हें दूर किया जा रहा है. वहीं, भार जंपिंग के मामले भी संज्ञान में आये हैं. उन्होंने कहा कि स्मार्ट का मतलब स्मार्ट होता है. लोगों की सुविधा के लिए स्मार्ट मीटर लगवाए लेकिन कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं. दोषियों को चिन्हित कर लिया है. जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी.


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