UP Assembly Election 2022: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है सोनभद्र के ओबरा में कर्मचारी संगठन 'पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं' मुहिम को धार देने में जुट गए हैं. राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को पत्र प्रेषित करने के बाद श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी जन प्रतिनिधियों के साथ संभावित उम्मीदवारों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं. संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक शैलेंद्र दुबे के नेतृत्व में मुख्यालय लखनऊ में भी अभियान तेज कर दिया गया है. राजनीतिक दलों से मांग की गई है कि वे संघर्ष समिति की मांगों को अपनी घोषणा पत्र में शामिल करें. जो भी दल ऐसा करेंगे विद्युत कर्मचारी उसी को अपना समर्थन देंगे. ओबरा जूनियर इंजीनियर संगठन भी इस आंदोलन को लगातार धार दे रहा है.


गीत गाकर समर्थन मांगा
इस आंदोलन में भागीदारी निभा रहे बृजेश कुमार यादव ने गीत के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों को अपना सन्देश पहुंचाने का प्रयास किया है और गीत गाकर सोशल मीडिया में आम जनता से भी कर्मचारियों के पक्ष में समर्थन मांगा है. गीत है "शुरू कइलन बिजलीकर्मी अभियनवा पेंशनवा हमके चाही मंत्री जी" बृजेश कुमार यादव कहते है कि हम पूरे परिवार समेत वोट तभी करेंगे जब पुरानी पेंशन बहाल हो जाएगी नहीं तो किसी भी दल को वोट नही देंगे.


दलों के साथ पेंशन बहाली मामला उठाया गया-नवीन
जूनियर इंजीनियर संगठन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सचिव नवीन चावला ने बताया कि 2004 के बाद कि सरकारों ने हमारी पुरानी पेंशन को बंद कर दिया है हमलोगों द्वारा राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को प्रेषित पत्र में पुरानी पेंशन बहाली के साथ अन्य महत्वपूर्ण लंबित मामलों को भी जोरशोर से उठाया गया है. जो पुरानी पेंशन है वो रिटायरमेंट के बाद हमारे परिवार का एक आधार होता है. जिससे हम अपने बुढ़ापे में 35 से 40 वर्षो के काम के बाद हर महीने पाते है जिससे हमारा जीवन चलता है.


जो घोषणा पत्र में शामिल करेगा उसे वोट-बृजेश
जूनियर इंजीनियर बृजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि हमलोग लगातार अपने आंदोलन को धरना प्रदर्शन, पत्राचार और घेराव के माध्यम से सरकार को अवगत कराते चले आ रहे है पर इस सरकार के पांच वर्ष बीत गए कोई निर्णय नहीं हुआ. ये पेंशन ही हमारे रिटायरमेंट के बाद का आधार है जिससे हम सकुशल जीवन बिताते है . विधायक और सांसद जब वो विधायक-सांसद नहीं रहते तो जीवनभर उन्हें क्यो पेंशन मिलता है. उनके पेंशन को बंद क्यों नहीं किया गया है. हम इस आंदोलन को ट्विटर के माध्यम से हर राजनीतिक दलों तक पहुंचा रहे है कि जो राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में इसको शामिल करेगा हम पूरे परिवार के लोग उसे वोट देंगे. अगर कोई नहीं करता तो हम नोटा या वोट का बहिष्कार करेंगे.


इंजीनियर मनीष कुमार बताते है कि लगातार हमारा संघर्ष चल रहा है और सभी गांवों और शहरों से ट्विटर के माध्यम से राजनीतिक दलों को अपनी मांग बताई जा रही है अगर हमारी मांगे राजनीतिक दलों द्वारा अनसुनी की जाती हैं तो हम सब परिवार समेत वोट नहीं देंगे.


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