(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP: सीएम योगी का सचिव बनकर अधिकारियों को करता था ब्लैकमेल, STF ने पकड़ा
UP News: यूपी एसटीएफ ने ऐसे व्यक्ति को पकड़ा है, जो खुद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सचिव बताकर अधिकारियों को ब्लैक मेल करता था. इसके खिलाफ यूपी के अलग-अलग जिलों में दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं
UP Latest News: उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने बस्ती से एक ऐसे नटवरलाल को गिरफ्तार किया है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सचिव बनकर सूबे के बड़े-बड़े आईएएस अधिकारियों को ब्लैकमेल कर उनसे ठगी करने का काम करता था. लेकिन, कुछ दिन पहले बस्ती के डीएम और बस्ती के सीडीओ को ब्लैकमेल करने के बाद उनकी ओर से हुई शिकायत में एसटीएफ ने उसे धर पकड़ा है.
इस नटवरलाल ने कुछ दिनों पहले बस्ती जिले के सीडीओ को फोन पर कहा कि वह मुख्यमंत्री का सचिव बोल रहा है और सीडीओ की शिकायत पंचम तल पर आई है, जिसमें जांच के आदेश होने वाले हैं. अगर वह चाहता है कि शिकायतकर्ता और सीडीओ के बीच में समझौता हो जाए तो वह एक मीटिंग करवा कर मामला सुलटवा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ खर्च करना पड़ेगा.
DM को फोन कर कहा- आपका होने वाला है तबादला
इसके बाद इस नटवरलाल ने बस्ती के डीएम को फोन कर कहा कि आपका तबादला होने वाला है, अगर कहिए तो इसे रुकवा दें. दोनों लोगों को जब उसने फोन किया तो ट्रूकॉलर पर सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम डिस्प्ले हो रहा था. जब बस्ती के डीएम ने लखनऊ से इसे वेरीफाई कराया तो उन्हें कॉलर फर्जी लगा. इसके बाद उन्होंने कोतवाली में एक मुकदमा पंजीकृत किया. तब बस्ती पुलिस और एसटीएफ की जांच में इस नटवरलाल की पहचान हो पाई. इसका नाम विवेक शर्मा उर्फ बंटू चौधरी है.
पुलिस की जांच में पता चला है कि विवेक शर्मा और विवेक चौधरी मूल रूप से आगरा का रहने वाला है और वह ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है. उसको मुंह जुबानी पुलिस और जिला प्रशासन के सैकड़ों नंबर याद है. उसने कबूल किया कि उसने अभी तक कई अफसर को ठगने के उद्देश्य से कॉल किया है, जिसमें कई बड़े आईएएस अधिकारी तक हैं और कुछ ने तो झांसे मैं आकर उसे पैसे भी दिए हैं. वहीं कई ऐसे अफसर भी रहे, जिनको वो संदिग्ध लगा तो उन्होंने उसे पर एफआईआर भी कराई है. इस नटवरलाल के खिलाफ यूपी के बलरामपुर में पांच मुकदमे, मथुरा में चार मुकदमे, अलीगढ़ और हरदोई में दो-दो मुकदमे, बांदा और कानपुर में एक-एक मुकदमा दर्ज हैं.
जांच में ये भी पता चला है कि वो अफसरों को कॉल करने के पहले समाचार पत्रों और अन्य माध्यम से उनसे जुड़ी जानकारी लेता था, जिनके खिलाफ शिकायतें हुई हैं, उनकी जानकारी से लेकर कहां किस अफसर के ट्रांसफर होने की संभावना है, इसकी जानकारी होने के बाद वह अफसर को मुख्यमंत्री का सचिव बता कर फोन करता था और उनसे पैसे लेने की कोशिश करता था.
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