Lucknow News: स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force) ने राजधानी लखनऊ (Lucknow) में खून के गंदे धंधे का भंडाफोड़ किया है. खून का ये काला कारोबार राजधानी समेत कई जनपदों के ब्लड बैंक (Blood Bank) में लंबे समय से चल रहा था. एसटीएफ (STF) ने इस रैकेट से जुड़े ब्लड बैंक मालिकों, टेक्नीशियनों और दो तस्करों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है. रैकेट के तार राजस्थान (Rajasthan) के कई जनपदों से जुड़े हैं. राजस्थान से इंसानों के शरीर से अवैध रूप से निकाला गया खून फर्जी दस्तावेजों के जरिए लखनऊ लाया जाता था और यहां खून की मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें सेलाइन वाटर मिला दिया जाता था. यह जहरीला और मिलावटी खून अस्पतालों में बेचकर रैकेट के सदस्य मोटा मुनाफा कमाते थे.


सूचना के बाद एसटीएफ की कार्रवाई
एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में चल रहे मिडलाइफ ब्लड बैंक और कृष्णानगर के नारायणी ब्लड बैंक में खून की तस्करी और मिलावट की सूचना मिली थी जिसके बाद एक टीम को छानबीन के लिए लगाया गया. कई दिनों तक रेकी के बाद बुधवार रात लखनऊ के चौक चौपटिया निवासी असद और कुशीनगर के रामकोला में रहने वाले नौशाद अहमद को गिरफ्तार किया गया. दोनों इंसानी खून की तस्करी करते हैं और मिडलाइफ ब्लड बैंक में खून की सप्लाई करने आए थे.


पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे


मानव रक्त के तस्करों की गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में चौकाने वाले खुलासे हुए. तस्करों ने बताया कि वह मिडलाइफ ब्लड बैंक के मालिक मोहम्मद अम्मार और नारायणी ब्लड बैंक के मालिक अजीत दुबे को तस्करी का खून देते थे. एसटीएफ ने रात को ही दोनों ब्लड बैंक पर छापा मारा और अजीत दुबे के साथ नारायणी ब्लड बैंक के टेक्नीशियन संदीप कुमार, मिडलाइफ ब्लड बैंक के मालिक मोहम्मद अम्मार, टेक्नीशियन करन मिश्रा और कर्मचारी रोहित को भी गिरफ्तार कर लिया.


एसटीएफ को 302 यूनिट ब्लड बैग, नारायणी ब्लड बैंक से 21 फर्जी कागजात समेत तमाम दस्तावेज मिले हैं. एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि इस धंधे में कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर टेक्नीशियन ब्लड बैंकों के मालिक शामिल हैं. जांच चल रही है. अभी और लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

राजस्थान से लाते थे खून
अवैध खून का काला धंधा राजस्थान से चल रहा था. राजस्थान के जयपुर स्थित तुलसी ब्लड बैंक, पिंक सिटी ब्लड बैंक, रेड ड्रॉप ब्लड सेंटर, गुरुकुल ब्लड सेंटर, ममता ब्लड बैंक, मानवता ब्लड बैंक, चुरू के शेखावटी ब्लड बैंक के टेक्नीशियन ओं के जरिए तस्करों को फोन मिलता था. 700 से 800 रुपए में ब्लड बैग खरीदकर लखनऊ लाया जाता था. ब्लड बैग पर फर्जी अस्पतालों के स्टीकर लगाकर फर्जी दस्तावेज बनाए जाते थे.
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यूपी के कई शहरों में सप्लाई होता था खून
राजस्थान से तस्करी करके लाए गए खून की सप्लाई लखनऊ, बहराइच, उन्नाव, हरदोई जनपदों के विभिन्न ब्लड बैंकों में की जाती थी. हरदोई के संडीला में यूनिवर्सल ब्लड बैंक, फतेहपुर में आभा ब्लड बैंक, कानपुर में अंजली ब्लड बैंक, बहराइच में हसन ब्लड सेंटर और उन्नाव में सिटी चैरिटेबल ब्लड सेंटर में मिलावटी खून की सप्लाई करने की जानकारी एसटीएफ को मिली है.

चैरिटेबल ट्रस्ट के ब्लड बैंक कर रहे है तस्करी
एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि खून की तस्करी का धंधा चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए संचालित होने वाले ब्लड बैंक करते हैं. ट्रस्ट समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर खून एकत्र करते हैं लेकिन अधिकांश ब्लड बैग की एंट्री ब्लड बैंक में नहीं कराते. ऐसे ब्लड बैग मोटी कीमत लेकर तस्करों को बेच दिए जाते हैं. इसके बाद तक खून के तस्कर फर्जी दस्तावेज बनाकर उन्हें अलग-अलग प्रदेशों और जनपदों में बेचते हैं. एसटीएफ के हत्थे चढ़े तस्कर नौशाद ने प्रयागराज के राम चंद्रा इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल साइंस से डीएमएलटी की डिग्री ली है. वर्ष 2018 में उसने जोधपुर के अंबिका ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन के पद पर नौकरी शुरू की थी. नौकरी करते हुए ही उसे चैरिटेबल ट्रस्ट में ब्लड डोनेशन कैंप की आड़ में होने वाले इस गोरखधंधे का पता चला.


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