यूपी STF ने बाहुबली धनंजय सिंह के खिलाफ दर्ज कराई FIR, जानें क्या है पूरा मामला?
धनंजय सिंह समेत दो लोगों पर विभूति खंड थाने में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 5 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई.
लखनऊ: जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह पर एक और एफआईआर दर्ज हुई है. उत्तर प्रदेश में गुंडे, माफियाओं और अपराधियों पर कहर बनकर टूट रही यूपी एसटीएफ की तरफ से धनंजय सिंह के खिलाफ एफआईआर लिखाई गई है.
यूपी एसटीएफ की तरफ से धनंजय सिंह पर एफआईआर की खबर फैलने के बाद सत्ता के गलियारों से लेकर चारों ओर यह चर्चा आम हो गई कि यह कैसे हो गया? इस एफआईआर के पीछे दो वजहें हैं. एक वजह कानून और शासन के कागजों में है और दूसरी एफआईआर को दर्ज करवाने की खानापूर्ति वाली बात है.
लखनऊ के विभूति खंड थाने में यूपी एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर शिव नेत्र सिंह की तरफ से 16 अक्टूबर 2020 को रात 10 बजकर 10 मिनट पर क्राइम नंबर 445/ 20 पर एफआईआर दर्ज करवाई गई. ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 5 के तहत पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत 2 लोगों पर यह एफआईआर दर्ज हुई.
एफआईआर में लिखाया गया कि धनंजय सिंह के द्वारा आईजी एसटीएफ का 14 नवंबर 2018 को लिखे एक गोपनीय पत्र संख्या ca/ig-stf 5c/2018.. लीक किया गया था. धनंजय सिंह पर एफआईआर की यह पहली वजह है.
दरअसल, धनंजय सिंह द्वारा मार्च 2019 में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा लेने की एक याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट में दाखिल की गई इस याचिका के साथ धनंजय सिंह ने यूपी एसटीएफ के द्वारा इंटेलिजेंस मुख्यालय को भेजा गया वह गोपनीय पत्र भी लगाया गया था जिसमें धनंजय सिंह की हत्या की प्लानिंग और जान को खतरा बताने की बात लिखी गई थी.
धनंजय सिंह ने हाईकोर्ट में एसटीएफ का लिखा यह गोपनीय पत्र लगा दिया. हाईकोर्ट ने गोपनीय पत्र को देखते ही नाराजगी जताई. हाई कोर्ट ने इस मामले में 2 बिंदु पर जांच के आदेश दिए पहला यूपी एसटीएफ का यह पत्र सही है या नहीं. और अगर सही है तो धनंजय सिंह को शासन का इतना गोपनीय पत्र कैसे मिला? किसने लीक किया?
मामला हाईकोर्ट का था तो सरकार ने इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए. जांच की मॉनिटरिंग खुद डीजी एसआईटी आरपी सिंह ने की और शासन को रिपोर्ट भेज दी. एसआईटी ने अपनी जांच में एसटीएफ के लिखे पत्र को सही पाया. लेकिन धनंजय सिंह को यह पत्र कैसे मिला इस पर धनंजय सिंह ने पहले अपने करीबी पत्रकार का नाम लिया, फिर किसी के द्वारा दफ्तर में डाक से पहुंचाने की बात कही गई. एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने धनंजय सिंह के खिलाफ अपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. अब आप समझ गए होंगे कि यूपी एसटीएफ के द्वारा यह एफआईआर हाईकोर्ट के आदेश पर लिखाई गई.
क्या महज फर्ज अदायगी है एफआईआर? धनंजय सिंह समेत दो लोगों पर विभूति खंड थाने में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 5 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई. ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट की इस धारा के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा 3 साल की जेल और जुर्माना की सजा दी जा सकती है. यानी एफआईआर दर्ज होने के बावजूद धनंजय सिंह पर गिरफ्तारी का कोई खतरा नहीं है.
दरअसल, यह एफआईआर महज फर्ज अदायगी क्यों बताई जा रही है इसके पीछे वजह भी सिर्फ इतनी है कि यूपी एसटीएफ ने धनंजय सिंह और उनके करीबी पर एफआईआर दर्ज कर हाईकोर्ट का आदेश भी मान लिया और दर्ज एफआइआर के अपराध में सजा 7 साल से कम है.
धनंजय सिंह जैसे बाहुबली की हत्या की साजिश रची जा रही थी यह अपने आप में सरकार और पुलिस के लिए बड़ा मामला है. यूपी एसटीएफ के द्वारा इंटेलिजेंस विभाग को भेजा गया यह गोपनीय पत्र अपराधियों पर काम करने वाली यूपी एसटीएफ और प्रदेश भर की खुफिया जानकारियों को इकट्ठा करने वाली इंटेलिजेंस के बीच का था. ऐसे में प्रदेश की दो महत्वपूर्ण सिक्योरिटी एजेंसी के बीच का गोपनीय पत्र कहां से वायरल हुआ? एसटीएफ से या इंटेलिजेंस से इस पर ना तो किसी ने जांच की और ना ही जरूरत समझी? फिलहाल इस मामले पर एफआईआर दर्ज होने के बाद अधिकारी कहते हैं कि इस एफआईआर में यही जांच होगी.
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