Chitrakoot: गुप्त गोदावरी पर्वत पर बने खटखटा चोर की दिलचस्प कहानी, जानें- धार्मिक मान्यता
Chitrakoot: मान्यता है कि जब भगवान रामचंद्र ने यहां 14 वर्ष वनवास काटा था तो सबसे पहले गुप्त गोदावरी पर्वत पर स्थित गुफा में ही निवास किया था. माता सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ ही रहते थे.
Chitrakoot News: चित्रकूट एक धार्मिक नगरी होने के साथ-साथ अपनी खूबसूरती के लिए भी जानी जाती है. हजारों की संख्या में जहां श्रद्धालु रोज चित्रकूट (Chitrakoot) दर्शन के लिए आते हैं, वहीं पर्यटन के लिहाज से भी यहां आने वाले सैलानियों की हर रोज हजारों में होती है. यहां के घाटों, झरनों और पर्वतों की खूबसूरती देखते ही बनती है. वैसे तो यहां देखने के लिए कई पर्वत और घाट हैं लेकिन गुप्त गोदावरी पर्वत की खूबसूरती की बात ही कुछ और है.
गुप्त गोदावरी पर्वत पर पत्थर बनकर लटका हुआ है चोर
मान्यता है कि जब भगवान रामचंद्र ने यहां 14 वर्ष वनवास काटा था तो सबसे पहले गुप्त गोदावरी पर्वत पर स्थित गुफा में ही निवास किया था. भगवान राम के साथ माता सीता और लक्ष्मण भी साथ रहते थे, एक बार माता सीता के कक्ष में एक चोर ने चोरी करने की कोशिश की तभी सीता मां ने चोर को श्राप दे दिया जिसके बाद वह चोर पत्थर में तब्दील हो गया. पत्थर में तब्दील हुआ यह चोर आज भी इस पहाड़ पर स्थित है. इस पत्थर को लोग खटखटा चोर के नाम से जानते हैं. इस गुफा में प्रवेश का रास्ता बहुत सकरा है.
चित्रकूट मुख्यालय से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित विंध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं से दो जल-धाराएं फूटती हैं. ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं. दूसरी गुफा कुछ नीचे है, इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है. गुफा संकरी होती हुई बंद हो जाती है. जहां गुफा बंद होती है वहीं से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद वह जल एक पीपल के वृक्ष के पास पहुंचकर गुप्त हो जाता है, इसलिए इसे गुप्तगोदावरी के नाम से पुकारा जाता है.
चित्रकूट जहां अनसुइया की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुईं गंगा
गुप्तगोदावरी से पांच किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत मालाओं के बीच से मंदाकिनी नदी के तट पर ऋषि अत्रि का आश्रम है. यहां पर पर्वत की तलहटी से अनेक जल-धाराएं बहकर नदी का रूप लेती हैं. इसे मंदाकिनी का नाम दिया गया है. अत्रि की पत्नी अनसुइया बहुत तपस्वनी थी. जब अत्रि ऋषि ने इस स्थान पर आश्रम की स्थापना की तो उन्हें बोध हुआ कि गंगा स्नान होना संभव नहीं हो पाएगा, तब ऋषि पत्नी अनसुइया ने गंगा को आव्हान करने के लिए कठिन तपस्या की. गंगा मां अनसुइया के तप से प्रसन्न होकर इस स्थान पर प्रकट हुईं.
यहां आज भी गुप्त है गोदावरी नदी का उद्गम
प्रकृति की अनमोल धरोहर गुप्त गोदावरी ऐसा स्थान है जहां पर आकर पर्यटक अपनी सुधबुध खो देता है. प्रकृति की विलक्षण कारीगरी वाली गुफाओं में नक्काशी देखते ही बनती है. एक गुफा तो सूखी है. यहां पर गोदावरी मां के साथ ही अन्य देवता गण स्थापित हैं और यहां पर राजा इंद्र का पुत्र जयंत खटखटा चोर के रूप में आज भी लटका हुआ है. गोदावरी धारा की विशाल जलराशि वाली दूसरी गुफा से जल निकलकर बाहर कुंड के बाद दिखाई नहीं देता. इसका रहस्य अभी सामने नहीं आया है. यही वह नदी है और इसका रहस्य आज तक कोई नहीं खोज पाया है. इस गुफा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. कहा जाता है कि इस गुफा में बहने वाली गोदावरी नदी के उद्गम के बारे में कई जानकारों और विशेषज्ञों ने खोज करने की कोशिश की लेकिन अब तक इसका रहस्य बरकरार है.
गोदावरी नदी एक पहाड़ के अन्दर सिमट गई है. यहां से बाहर निकलने पर नदी दिखाई नहीं देती है, इसका उद्गम स्थल भी यही है और ये सिमटी भी यहीं है, इसीलिए इसे गुप्त गोदावरी कहा जाता है. जहां चमगादड़ जैसी प्रजातियां अब जल्दी कहीं देखने को नहीं मिलतीं वहीं इस गुफा के ऊपरी भाग में बेतहाशा चमगादड़ चिपके रहते हैं. गुप्त गोदावरी में रोज़ाना 2000 से ज़्यादा दर्शनार्थी आते हैं.
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