UP Assembly Election 2022: कोरोना महामारी की वजह से व्यापारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो पहले से पिछले दो साल से उनके व्यापार पर अच्छा खासा असर पड़ा है और अब कोरोना की तीसरी लहर की वजह से चुनावी रैलियों पर लगी रोक से भी उनके व्यापार को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. महामारी की वजह से चुनाव का तरीका बदल गया, इसलिए प्रचार सामग्री की मांग भी न के बराबर है.
कारोबारियों का काम हुआ ठप
दरअसल कोरोना की तीसरी वेव को देखते हुए चुनाव आयोग ने सभी दलों को डिजिटल प्रचार करने के लिए कहा है, पहले चुनाव आते ही बड़ी-बड़ी जनसभाएं रैलियां और रोड शो कर राजनीतिक दल अपने विचारों को जनता तक पहुंचाने का काम करते थे लेकिन अब ये सब नहीं हो पा रहा है. जाहिर है इसकी वजह से चुनाव प्रचार सामग्री की मांग भी प्रभावित हो रही है और पांच सालों से इलेक्शन का इंतजार कर रहे कारोबारियों को नुकसान हो रहा है.
नहीं बिक पा रही चुनाव प्रचार सामग्री
एबीपी गंगा ने ऐसे कुछ कारोबारियों से बात की और जानने की कोशिश की कि आखिरकार इस महामारी का उनके कारोबार पर कितना असर पड़ रहा है, तो इन्होंने बताया कि इस महामारी का सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ा है क्योंकि वो 5 सालो से इन चुनाव का इंतजार करते हैं. ऐसे में अगर चुनाव में भी कारोबार मंदा पड़ेगा तो वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे.
सावधानी बरतना है जरूरी
इस बारे में एबीपी गंगा से खास बातचीत के दौरान योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि इस महामारी से सिर्फ प्रचार सामग्री का कारोबार कर रहे कारोबारी ही प्रभावित नहीं हुए बल्कि हर कारोबार प्रभावित हुआ है और इस महामारी में सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. इसलिए हम सभी लोग सोशल प्लेटफार्म के जरिए अपनी बात जनता और कार्यकर्ता तक पहुंचा रहे हैं. बीजेपी ने डिजिटल इंडिया के तहत इसपर काम बहुत पहले ही शुरू कर दिया था.
व्यापारियों ने जताई हालात ठीक होने की उम्मीद
चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार कर रहे लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही इस महामारी से राहत मिलेगी. जिसके बाद चुनाव आयोग रैलियों और जनसभाओं की इजाजत देगा ताकि उनका कारोबार एक बार फिर से पटरी पर लौट सकें.
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