Transporters Protest: नए सड़क कानून के विरोध में कुशीनगर में भी उतरे ड्राइवर, जगह-जगह किया चक्का जाम, जमकर नारेबाजी
Kushinagar Transporter Protest: यूपी के कुशीनगर में भी ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का असर देखने को मिला है. हड़ताली ड्राइवरों ने हाईवे पर जाम कर दिया, घंटों लोग जाम में फंसे रहे.
Kushinagar News: कुशीनगर जिले में नए मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में परिवहन निगम के चालक और ट्रक ड्राइवर हड़ताल से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई हैं. बसों के साथ ट्रक चालक भी आंदोलनरत रहे. राष्ट्रीय राजमार्ग-28 पर कसया जैन धर्म कांटा के पास ट्रक चालकों ने चकका जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. इसके अलावा तमकुहीराज थाना क्षेत्र के मंझरिया में एनएच-28 जाम कर प्रदर्शन किया. चालकों ने नए कानून को काले कानून की संज्ञा दी और इसमें संशोधन की मांग कर रहे है.
बस और ट्रक चालकों के चक्का जाम के चलते सभी बसें वर्कशॉप में खड़ी है. पडरौना बस स्टेशन पर खड़ी सभी बसों को छावनी स्थित वर्कशॉप पर ले जाकर खड़ी कर दी गईं. गोरखपुर, लखनऊ समेत अन्य शहरों के लिए बस स्टेशन पर यात्री घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. पडरौना डिपो के एआरएम राकेश कुमार ने बताया कि बस चालकों की अघोषित हड़ताल के कारण रोडवेज की बसें खड़ी हैं. जब तक चालक हड़ताल से वापस नहीं आ जाते, तब तक बसों का संचालन कर पाना संभव नहीं है.
प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर लगाया जाम
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-28 पर कसया जैन धर्म कांटा के पास चक्का जाम कर दिया गया. इसके अलावा तमकुहीराज थाना क्षेत्र के मंझरिया में एनएच-28 जाम कर प्रदर्शन किया. चालकों ने नए कानून को काले कानून की संज्ञा दी और इसमें संशोधन की मांग की.
नए कानून को बदलने की मांग
ट्रक चालकों की तरफ से किए गए चक्का जाम की वजह से नव वर्ष मेले में आने वाले छोटे-बड़े वाहन जगह-जगह फंस गए. जाम से एनएच-28 के दोनों प्रमुख लेन पर काफी लंबा जाम लग गया. इससे नववर्ष के मेले में जाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन चालक अपनी मांग पर अड़े रहे. जाम को देख अपने समर्थकों के साथ पहुंचे नगरपालिका परिषद कुशीनगर के अध्यक्ष प्रतिनिधि राकेश कुमार जायसवाल ने भी चालकों को समझाते हुए जाम खत्म करने को कहा, जिसके बाद चालक उग्र हो गए और उन्होंने जमकर नारेबाजी की.
चालकों का कहना है कि नए क़ानून में 10 वर्ष की जेल और सात लाख जुर्माने का प्रावधान है. हम लोग काफी गरीब हैं और किसी तरह परिवार का भरण पोषण करते हैं. ट्रांसपोर्टर के साथ किसान, व्यापारी व चालक बर्बाद हो जाएंगे. इसलिए इस क़ानून का वापस लिया जाना चाहिए. कई कोशिशों के बाद भी चालक टस से मस होने को तैयार नहीं है.