(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP: इलाहाबाद HC की टिप्पणी- रेप के मामले में पीड़िता का बयान आरोपी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त
हाई कोर्ट ने 43 साल पुराने मामले में रेप के आरोपी की सजा को बरकरार रखा है. आरोपी को मेरठ की अदालत ने सजा सुनाई थी. पीड़िता की उम्र दस साल थी जब उसके साथ रेप किया गया.
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि रेप के मामले में पीड़िता का बयान आरोपी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता है. कोर्ट ने कहा है कि पीड़िता के बयान को अन्य साक्ष्यों से सुसंगत साबित करना अनिवार्य नहीं है. कोर्ट ने इसी के साथ दुष्कर्म के आरोपी की अधिक आयु को सजा माफ करने का आधार मानने से भी इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने 43 साल पुराने मामले में दुष्कर्म के आरोपी 68 वर्षीय आरोपी ओम प्रकाश को ट्रायल कोर्ट मेरठ द्वारा सुनाई गई सजा को बरकरार रखा है.
कोर्ट ने आरोपी को सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए दिया है. ट्रायल कोर्ट मेरठ ने आरोपी ओमप्रकाश को 6 वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट में यह मुकदमा 40 सालों से चल रहा था.
मेरठ के बिनौली का मामला
दरअसल पूरा मामला मेरठ के बिनौली थाना क्षेत्र का है. बिनौली निवासी ओम प्रकाश के खिलाफ पीड़िता के पिता ने 4 अक्टूबर 1979 को मेरठ के बिनौली थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक उसकी 10 साल की बेटी जंगल में घास काटने गई थी. जहां उसे आरोपी खींचकर पास के एक खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता के शोर मचाने पर उसके भाई और पिता मौके पर पहुंचे. जिन्हें देखकर आरोपी मौके से फरार हो गया.
आरोपी ने 1982 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में की थी अपील
इसके बाद मेरठ के महिला चिकित्सालय में पीड़िता का मेडिकल कराया गया. जिसमें पीड़िता की आयु 10 वर्ष और उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी. इस मामले में मेरठ की जिला अदालत में तीन साल केस चला. जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 6 साल की सजा सुनाई थी. ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ आरोपी ने 1982 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. जिस पर उसे हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है और कोर्ट ने उसे सजा भुगतने के लिए जेल भेजने का आदेश दिया है.
ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दी थी 6 वर्ष की सजा
याचिकाकर्ता के वकील सुधीर दीक्षित ने बताया कि ये बिनौली थाना जनपद मेरठ का मामला था. ये 1979 का एक पुराना मामला था, इसमें ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 6 वर्ष की सजा दी थी. उसके विरुद्ध हम लोगों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी. इसमें जो जजमेंट है उसमें मुख्य बात ये है कि न्यायालय ने सिर्फ पीड़िता के बयान को ही वेट फुल मानते हुए, लोअर कोर्ट के जजमेंट को (6 साल की सजा) को कन्फर्म किया है. इसमें जो बहुत सारे महत्वपूर्ण गवाह थे, वो नहीं आए थे. न ही उनकी गवाही हुई थी, लेकिन न्यायालय ने उन सब चीजों को नहीं माना है. हम इस जजमेंट को देख रहे हैं,और आगे परीक्षण कर रहे हैं. आगे उच्च न्यायालय में जो भी होगा उसकी अपील करेंगे.