Kumbh Mela 2025: कुंभ मेला, भारतीय संस्कृति का एक ऐतिहासिक हिस्सा है, जो भारी भीड़ और अपनों से बिछड़ने के किस्सों के लिए जाना जाता है. बॉलीवुड फिल्मों में 'कुंभ के मेले में बिछड़ने' वाले दृश्य सदियों से दर्शकों के दिलों पर राज करते आए हैं. 


हालांकि अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस धारणा को पूरी तरह से बदलने के लिए तैयार है. कुंभ मेला 2025 में आने वाले तीर्थयात्रियों को खोने और फिर से मिलने की परेशानियों से बचाने के लिए सरकार ने एक हाई-टेक 'खोया-पाया पंजीकरण प्रणाली' की शुरुआत की है.


प्रयागराज मेला प्राधिकरण और पुलिस विभाग ने मिलकर एक ऐसी प्रणाली बनाई है, जो तीर्थयात्रियों को भीड़ में खोने से बचाएगी. इसके बावजूद अगर कोई खो जाता है, तो उसे तुरंत और सुरक्षित तरीके से उसके परिवार से मिलाने में मदद करेगी. यह पहल महाकुंभ मेले को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाएगी.


बिछड़ने के 'फिल्मी' दृश्य होंगे खत्म?
भारतीय सिनेमा में कुंभ मेला का जिक्र होते ही भाई-भाई या मां-बेटे के बिछड़ने की भावनात्मक कहानियां हमारे दिमाग में आती हैं, लेकिन अब इस हाई-टेक 'खोया-पाया प्रणाली' के तहत महाकुंभ 2025 में ऐसा 'फिल्मी' दृश्य शायद ही देखने को मिलें. 


हर खोए हुए व्यक्ति का तुरंत डिजिटल पंजीकरण किया जाएगा, जिससे उनका डेटा अन्य केंद्रों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक और एक्स (पहले ट्विटर) पर प्रसारित किया जाएगा. इससे तीर्थयात्रियों को आसानी से उनके परिजनों से मिलाया जा सकेगा.


पुनर्मिलन की नई कहानी 
महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो खोए हुए व्यक्तियों को जल्दी और सुरक्षित रूप से उनके परिवार से मिलाने में मदद करेंगे. 


अगर किसी तीर्थयात्री का 12 घंटे के भीतर दावा नहीं किया जाता है, तो पुलिस हस्तक्षेप करके उस व्यक्ति को सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाएगी. 


इस प्रणाली ने पुराने फिल्मी किस्सों की तरह वर्षों बाद मिलने वाले दृश्यों को खत्म कर दिया है, ऐसे में अब महज कुछ ही घंटों में पुनर्मिलन सुनिश्चित किया जा सकेगा.


महिलाओं, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
प्रदेश सरकार के इस पहल के तहत, खासतौर पर बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है. खोए हुए बच्चों या महिलाओं के साथ कोई भी व्यक्ति तभी जा सकेगा, जब उसकी पहचान प्रमाणित होगी. इस प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि खोए हुए बच्चे और महिलाएं किसी गलत हाथों में न जाएं और उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए. 


'हाई-टेक खोया-पाया' केंद्रों में खोए हुए व्यक्ति का पंजीकरण, उनके फोटो और जानकारी का आदान-प्रदान तुरंत होगा. परिवार के सदस्य या मित्र इन केंद्रों के माध्यम से अपने खोए हुए परिजनों को खोज सकेंगे. साथ ही खोए व्यक्तियों की जानकारी का प्रसारण अन्य केंद्रों और सोशल मीडिया पर होगा, जिससे उन्हें खोजने में और आसानी होगी.


कुंभ हर लिहाज से सुरक्षित
प्रदेश की योगी सरकार ने इस नई पहल के साथ यह सुनिश्चित किया है कि महाकुंभ 2025 न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन होगा, बल्कि तकनीक और सुरक्षा का भी बेहतरीन उदाहरण बनेगा. तीर्थयात्रियों को अब बिछड़ने का डर नहीं रहेगा, ऐसी किसी भी स्थिति में वह सुरक्षित रुप से जल्द ही अपने परिवार से मिल सकेंगे.


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