लखनऊ: देश के कई राज्यों में कोरोना के नए वेरिएंट 'डेल्टा+' से संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश को विशेष सतर्कता बरतनी होगी. विशेषज्ञों के अनुसार इस बार का वेरिएंट पहले की अपेक्षा कही अधिक खतरनाक है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति ने इससे बचाव के लिए रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के अनुसार, ये वेरिएंट बच्चों पर ज्यादा दुष्प्रभाव डालने वाला हो सकता है. विशेषज्ञों के परामर्श के अनुरूप बिना देर किए सभी जरूरी कदम उठाए जाना चाहिए. लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो इसके लिए राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति के सदस्यों व अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के माध्यम से जनजागरूकता के प्रयास किए जाएं. मीडिया जगत से भी सहयोग लिया जाना चाहिए.


कोविड के डेल्टा+ वेरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. रेलवे, बस , वायु मार्ग से प्रदेश में आ रहे लोगों के सैंपल लेकर सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. जिलों से भी सैंपल लिए जाएंगे. रिजल्ट के अनुसार डेल्टा+ प्रभावी क्षेत्रों की मैपिंग कराई जाए. इससे बचाव के प्रयासों में सुविधा होगी. प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा के लिए केजीएमयू और बीएचयू में आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाएगी.


पिछले दिनों कराए गए सीरो सर्वे के प्रारंभिक परिणाम अच्छे संकेत देने वाले हैं. शुरुआती नतीजों के मुताबिक सर्वेक्षण में लोगों में हाई लेवल एंटीबॉडी की पुष्टि हुई है. हमें यह समझना होगा कि वायरस से इस लड़ाई में सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है. डबल मास्क, सैनिटाइजेशन, दो गज की दूरी जैसे कोविड बचाव संबंधी व्यवहार को हमें अपनी जीवनशैली में शामिल करना ही होगा. भीड़भाड़ से बचें. थोड़ी सी भी लापरवाही, बहुत भारी पड़ सकती है.


1 करोड़ टीके लगाने का लक्ष्य 6 दिन पहले ही हासिल किया
कोरोना से बचाव के लिए टीका-कवर उपयोगी है. जून माह में राज्य सरकार ने एक करोड़ प्रदेशवासियों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा था, 24 जून को 6 दिन पहले ही रहते ही, इस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया. उत्तर प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 90 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं. करीब 42 लाख लोगों ने टीके के दोनों डोज ले लिए हैं.


आगामी 1 जुलाई से हर दिन न्यूनतम 10 लाख लोगों को टीका-कवर देने के लक्ष्य के साथ काम किया जाएगा. विकास खंडों को क्लस्टर में बांटकर वैक्सीनेशन की नीति के अच्छे परिणाम मिले हैं. अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह एक तिहाई विकास खंडों में लागू है. 1 जुलाई से इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाए.


प्रदेश में कोरोना की स्थिति अब बेहतर
कोरोना महामारी के दृष्टिगत प्रदेश की स्थिति हर दिन के साथ बेहतर होती जा रही है. संक्रमण दर 0.1% से भी कम स्तर पर आ चुका है, जबकि रिकवरी दर 98.5% है. ज्यादातर जिलों में संक्रमण के नए केस इकाई अंकों में आ रहे हैं, तो 50-52 से अधिक जिलों में 50 से कम एक्टिव केस ही हैं. वर्तमान में कुल एक्टिव केस घटकर 3423 रह गए हैं. 2078 लोग होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं. अब तक कुल 16 लाख 79 हजार 416 प्रदेशवासी कोरोना से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हो चुके हैं.


बीते 24 घंटे में एक ओर जहां 2 लाख 69 हजार 272 सैंपल टेस्ट हुए, वहीं मात्र 226 नए पॉजिटिव केस आए और 320 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए. उत्तर प्रदेश में अब तक 5 करोड़ 65 लाख 40 हजार 503 कोविड टेस्ट हो चुके हैं.


ऑक्सीजन जेनेरेशन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
राज्य सरकार ने कहा, विशेष पदों को छोड़कर, अस्पताल प्रशासन/प्रबंधन में चिकित्सकों की तैनाती अपरिहार्य स्थिति में की जानी चाहिए. चिकित्सक का प्रथम और प्रमुख कार्य मरीज का उपचार करना है, उन्होंने इसी सेवा के लिए अध्ययन और प्रशिक्षण प्राप्त किया है. अन्य कार्यों में उनकी तैनाती, चिकित्सकों को उनके मूल कर्तव्य से विमुख करती है. अस्पताल प्रशासन/प्रबंधन के कार्यों के लिए मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन या हॉस्पिटल मैनेजमेंट में एमबीए उपाधिधारक युवाओं को अवसर दिया जाना चाहिए. इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए.


उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन जेनेरेशन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है. कल 5 और प्लांट की स्वीकृति दी गई है. लगातार प्रयासों से अब 114 ऑक्सीजन प्लांट क्रियाशील हो चुके हैं. भारत सरकार के सहयोग से पीएम केयर्स के माध्यम से निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट्स को 15 अगस्त तक क्रियाशील कर लिया जाए. मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी तैनात किया जाए. प्लांट स्थापना से जुड़े कार्यों की सतत समीक्षा की जाए.