UP News: सीएम योगी के मंत्री ने किया जातीय गणना का समर्थन, पीएम नरेंद्र मोदी से की ये बड़ी मांग
Gorakhpur News: गोरखपुर के सर्किट हाउस में यूपी के कैबिनेट मंत्री (मत्स्य) डॉ. संजय निषाद ने रविवार को कहा कि जातिगत गणना के वे पक्षधर हैं. पहले उसकी विसंगतियों को दूर किया जाए.
Sanjay Kumar Nishad Supported Caste Survey: कैबिनेट मंत्री डॉं संजय निषाद 15 अक्टूबर को गोरखपुर-बस्ती मंडल से संवैधानिक सुरक्षा (आरक्षण) यात्रा का शुभारंभ करेंगे. इसकी शुरुआत गोरखपुर-बस्ती मंडल से होगी. गोरखपुर में वे खुद इसका नेतृत्व करेंगे और समाज के लोगों को बताएंगे कि किसी पार्टी ने कब उनके हक रोटी, कपड़ा और मकान को छीना है. उन्होंने बताया कि गोरखपुर में इसका नेतृत्व वह खुद करेंगे. इस दौरान रोड शो और डीएम को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. इसके बाद पूरे यूपी में 9 बड़े कार्यक्रम किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 80 सीटों पर एनडीए चुनाव जीतेगी. उन्होंने कहा कि वे जाति गणना का समर्थन करते हैं, लेकिन इनकी विसंगतियों को पहले दूर किया जाना चाहिए.
गोरखपुर के सर्किट हाउस में यूपी के कैबिनेट मंत्री (मत्स्य) डॉ. संजय निषाद ने रविवार को कहा कि जातिगत गणना के वे पक्षधर हैं. पहले उसकी विसंगतियों को दूर किया जाए. उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी चुनाव लड़ने के लिए खड़ी और बड़ी होती है. डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि जिस समुदाय के लोग राजनीतिक नहीं होते हैं, उन्हें कभी राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिलती है. राजनीति न्याय और सुरक्षा भी देती हैं. आज निषाद पार्टी की देन है, आज वे अपने मुद्दे को उठा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका संवैधानिक आरक्षण और अधिकार छीना गया है. उसे केन्द्र ही दे सकता है. इसलिए उनका केन्द्र में जाना जरूरी है, 37 ऐसी सीटें हैं जहां निषाद तीन से 3.5 लाख हैं. उन्होंने कहा कि जो हारी हुई सीटें हैं, वो उन्हें दे दें. उन्होंने कहा कि एनडीए चुनाव लड़ती है, बीजेपी या निषाद पार्टी चुनाव नहीं लड़ती है. इस बार कुल 80 की 80 सीटें जीतकर आएंगे. भैया (ओम प्रकाश राजभर) बीजेपी में आ गए हैं. अब उनसे सीटों को लेकर किसी तरह का झगड़ा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सीटों को अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के साथ मंथन करेंगे.
कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने जाति गणना का समर्थन करते हुए कहा कि जाति गणना होनी चाहिए. लेकिन जो विसंगति हो उसे दूर किया जाए. कहां कौन गिना जाएगा, ये तय हो. उत्तर प्रदेश में जो 193 जातियां, जो उत्तर प्रदेश में निवास करती हैं उनको ट्रिब्यूनल कास्ट घोषित करके रोड पर घुमा दिया है. वे पाइप लाइन में हैं, वे कहां गिने जाएंगे. हम लोग कहां गिने जाएंगे. 31 दिसंबर 2016 को राज्यपाल ने उन्हें निकाल दिया. गजट करके राज्यपाल ने उन्हें ओबीसी से निकाल दिया तो उन्हें अनुसूचित में माना जाए. वे तो गिनती की बात साल 2015 से कह रहे हैं. लेकिन पहले विसंगति दूर करने की मांग और प्रयास कर रहे हैं.
जातीय जनगणना के नाम पर बिहार फ्रॉड नजीरकर रहा पेश
डॉ. संजय निषाद ने जातीय गणना में बिहार के नजीर पेश करने के सवाल पर कहा कि बिहार फ्रॉड नजीर पेश कर रहा है. मतलब धोखा देने वाला, बिहार बंगाल का एक पार्ट है. जब देश आजाद हुआ तो संविधान की सूची में केवट, मल्लाह, बिंद अनुसूचित जाति में गए. फिर वहां से पन्ना क्यों नहीं आया. यूपी से उत्तराखंड अलग हुआ, तो यहां से सूची गई. वहां की सूची कहां गायब होगी. सीएम नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पलटू राम ने एक प्रस्ताव भेजा है कि निषाद ऐसे अनुसूचित में आते हैं, उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन कुर्मी, मल्ल, चौधरी, वर्मा और सैंथवार को गिनकर पाउवा और फिर झउवा बना दिया. इसी तरह अन्य जातियों के साथ किया. पउवा पिलाकर झउवा भर वोट ले लेंगे. वे कब गिनने गए, अपना वोट अधिक दिखाकर दूसरे को पीछे-पीछे घुमाएंगे. गिनती आधार कार्ड से लिंक करके और तकनीक के माध्यम से होनी चाहिए. वे लोगों को राजनीतिक लाभ लेने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं. कांग्रेस और अन्य सरकारों ने किन जातियों के साथ कितना किया है ये भी देखें.
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि न्याय के लिए वे नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं. कोर्ट ने भी कह दिया है कि केन्द्र सरकार उनके मुद्दे को सुलझाएगी. अपर कास्ट भी कमजोर थे वे संवेदनशील हुए तो कांग्रेस, सपा, बसपा को हटाया. पीएम मोदी ने ने अपर कास्ट के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया. महिलाओं को भी आरक्षण दिया. पहले बिल आता था, फाड़ दिया जाता था. देशभर की महिलाओं ने अहसास कराया और कांग्रेस-सपा को हराया. महिला आरक्षण का आज किसी ने विरोध नहीं किया. कांग्रेस ने उनके अधिकार को छीना है. सपा-बसपा ने सहयोग किया है. आरक्षण छिनवाने और छीनने वालो पर्दाफाश किया जाएगा. बीजेपी, पीएम मोदी, सीएम योगी और अमित शाहज को भी अहसास कराया जाएगा कि हम इसीलिए आए थे कि आरक्षण का मुद्दा हल हो जाए. ये कब हल होगा. 2019, 2022, 2024 में भी एक तरीके से महिला आरक्षण मिला तो अगला जो सेशन आता है. राम मंदिर बन गया, महिला आरक्षण आ गया, हम मांग रहे हैं हमें आरक्षण दें. हमारी कोई गलती हो, तो बीजेपी बता दे. हम अपनी गलती सुधार लें. अगले सत्र में हमें आरक्षण बिल लाकर अनुसूचित जाति में शामिल करें. जो विरोध करेगा, वो बाहर जाएगा और जो विरोध करेगा, वो बाहर जाएगा. वे लोगों को बताएंगे कि वे समाज के साथ में हैं.
सपा पहले यादव सम्मलेन करे
सपा के निषाद सम्मेलन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो लोग सम्मेलन कर रहे हैं, वे बता रहे हैं कि उन लोगों ने 70 साल से वोट तो लिया लेकिन उनको अधिकार नहीं दिया. उन्हें निषाद सम्मेलन के पहले यादव सम्मलेन करना चाहिए. पिछड़ा सम्मेलन और निषाद सम्मेलन अलग हैं. वे तो बताते हैं कि निषादों के लिए उन्होंने कितना काम किया है. दलित दलदल में इसलिए था कि आज तक उन्हें दबाया गया. कानूनी सुरक्षा उन्हें मिली. पॉलिटकल गॉडफादर ऑफ लेदरमैन कांशीराम हुए लेकिन लेदरमैन ने 66 समूहों का हिस्सा खा गए. सिर्फ लेदरमैन का विकास हुआ, वाशरमैन और फिशरमैन और अन्य कहां चले गए. इसका अर्थ है कि अनुसूचित जाति आयोग को सिर्फ लेदरमैन आयोग माना जाए. तभी तो माना जाएगा कि उन्होंने लुटवा दिया. वो तो सरकार के अधीन हुआ. आप 30 साल सत्ता में थे तो क्यों नहीं सम्मेलन किया. आज वे सम्मेलन करते हैं, तो पीएम मोदीज, सीएम योगी और गृहमंत्री अमित शाह को बुलाते हैं. मछुआ कल्याण कोष की स्थापना के साथ फंड भी आ गया है.
निषाद पार्टी का उदय आरक्षण को लेकर हुआ
जातीय जनगणना का माहौल बना हुआ है. कुछ लोग कहते हैं होनी चाहिए कुछ लोग कहते हैं कि नहीं हो रही है. कुछ लोग कहते हैं कि हमारी सरकार नहीं करा रही है. बोल नहीं रही है, जब वे जाति जनगणना के लिए 7 जून 2015 को बोल रहे थे, तो उनके लोगों की गोली से बोली को बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि वे इतना ही कह रहे थे कि संविधान से देश चलता है. अब संविधान के मुताबिक लोगों को सुरक्षा मिलती है. संविधान कमजोर लोगों को सुख देता है और मजबूत लोगों से लेने की एक व्यवस्था दिलाता है. अनुसूचित जाति की सूची 1931 से सूची बनी हुई है. निषादों की अनुसूचित जाति में गिनती 1941, 51, 61, 71 और 81 में हुई. हम 60 सालों तक अनुसूचित में थे. राष्ट्रपति ने कहा कि हम सूचीबद्ध हैं. बसपा और सपा के सहयोग से चलने वाली केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें अनुसूचित जाति से निकालकर ओबीसी में शामिल कर दिया. राष्ट्रपति ने कह रखा है कि 1961 में पहली जनगणना हुई, उन्हें संवैधानिक सुरक्षा मिली थी. वोट हमसे लिया और हमारी संवैधानिक सुरक्षा मिली थी.
सामाजिक न्याय मंत्रालय को भेजा मामला
संविधान कहता है कि केवट मल्लाह अनुसूचित हैं. तुरैहा को लेकर भ्रम की स्थिति रहती है. क्योंकि वे पिछली और अनुसूचित दोनों में हैं. संविधान कहता है कि मझवार, केवट और मल्लाह अनुसूचित हैं. उनके बच्चों का सरकार ने सुविधा दी थी कि उनके बच्चे सुरक्षित रहेंगे. फिर उनकी सुरक्षा क्यों छीन लिए. कांग्रेस और मुकुल वासिल ने 1961 के कागज को गायब करा दिया. उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना था. आरबीआई से पीएम मोदी, सीएम योगी और गृहमंत्री अमित शाह ने उनका कागज दिलवा दिया. वे उन्हें धन्यवाद देते हैं. रजिस्ट्रार ने ये स्वीकार किया कि 1961 में उनकी गिनती 70 लाख में हुई थी. उन्होंने सामाजिक न्याय मंत्रालय को उनका मामला भेज दिया गया. वे कहते हैं कि गिनती होनी चाहिए लेकिन ये तय होना चाहिए कि कैसी गिनती होनी चाहिए. क्या मारने वाली गिनती होनी चाहिए. 1991 में उन्हें पिछड़ी में डालकर मारना शुरू कर दिया. हम लोगों ने अंग्रेजों-मुगलों को मारकर भगाया था, इसीलिए भगाया था कि सत्ता देकर हम मर जाएं. उन्होंने कहा कि उनकी गिनती पिछड़ों में करना अन्याय है.
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