लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर होने वाले चुनाव में सियासी दल अपना दम खम ठोक रहे हैं. 75 जिलों में होने वाले इस जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए कल यानी 26 जून को नामांकन होना है. ऐसे में बीजेपी की तैयारी है कि इन चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जाए. यही वजह है कि अब सरकार के मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्र में नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे. पार्टी के उम्मीदवार का हौसला बढ़ाने के साथ ही साथ किस तरीके से लॉबिंग करके उम्मीदवार को जिताया जाए इस पर रणनीति भी तय करेंगे.


प्रदेश में होने वाले 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव खासतौर से सत्ताधारी बीजेपी के लिए नाक का सवाल बना हुए है क्योंकि इस बार बीजेपी ने जिस आक्रामक ढंग से पंचायत चुनाव लड़ा था नतीजे उसके अनुरूप नहीं आए थे. बीजेपी से ज्यादा निर्दलीय जीते थे और बीजेपी तीसरे नंबर पर सपा के बाद चली गई थी. ऐसे में अब जब 3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाने हैं तो पार्टी की तैयारी है कि 75 में से तकरीबन 60 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया जाए और इसके लिए बीजेपी हर पैंतरा अपना रही है. कहीं पार्टी ने निर्दलीयों को साथ जोड़ा है तो कहीं पार्टी ऐसे लोगों को उम्मीदवार बना रही है जिन्हें कुछ समय पहले अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया था.


अब 26 जून को यानी शनिवार को जिला अध्यक्ष पद के लिए नामांकन होना है. यह नामांकन दोपहर 3 बजे तक होगा ऐसे में सरकार के मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे और उम्मीदवारों का हौसला बढ़ाएंगे. साथ ही कैसे बीजेपी के उम्मीदवार को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया जाए इस रणनीति पर भी पार्टी पदाधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे.


नामांकन जुलूस पर सभी जगहों पर रोक है


दरअसल, बीएल संतोष जब 2 दिन लखनऊ में थे तब भी पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी और तब मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में जिला अध्यक्ष बनवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. उसके बाद यह तय हुआ कि नामांकन के दौरान भी मंत्री वहां मौजूद रहेंगे. दरअसल जब पंचायत के चुनाव हुए तब कोरोना कि दूसरी लहर की वजह से सरकार के मंत्री पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए नहीं उतर पाए. जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और नतीजे उसके अनुकूल नहीं रहे. इससे सबक लेते हुए इस बार मंत्रियों को ही मैदान में उतार दिया है. ज्यादातर मंत्री कल नामांकन के दिन प्रत्याशियों के नामांकन में शामिल होंगे.


हालांकि कोविड के चलते नामांकन जुलूस पर तो सभी जगहों पर रोक है लेकिन कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए नामांकन किया जाएगा. जबकि 27 जून को सरकार के सभी मंत्री पूरे प्रदेश में तीसरी लहर के मद्देनजर बच्चों को जो मेडिसिन किट उपलब्ध कराई गई है उसका वितरण भी अपने-अपने क्षेत्रों में करेंगे और इसके बाद मंत्रियों का ब्लॉक स्तर पर दौरा भी होना है. यानी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अब बचे हुए 8 महीनों में सरकार के मंत्री आपको लखनऊ में कम और अपने विधानसभा क्षेत्र में, प्रभार वाले जिले में और ब्लॉक में प्रवास करते ज्यादा नजर आएंगे.


बीजेपी, समाजवादी पार्टी को 2015 की याद दिला रही है


बीजेपी ने इस बार उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में भी अपनी रणनीति में बदलाव किया. दरअसल, पहले 3050 जिला पंचायत वार्ड के सदस्यों के नाम की घोषणा लखनऊ मुख्यालय से की गई लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आये. उसके बाद यह तय किया गया कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा जिला स्तर पर ही की जाएगी. इसके पीछे मंशा यह थी कि किसी नाम पर अगर बवाल हो तो उससे सीधे-सीधे आलाकमान पर सवाल ना उठे, लेकिन इतनी सावधानी बरतने के बाद और कई स्तर पर स्क्रीनिंग करने के बावजूद भी उन्नाव में पार्टी को दोबारा बैकफुट पर आना पड़ा. 


एक तरफ बीजेपी की तैयारी ज्यादातर सीटें जीतने पर है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में जोर शोर से अपनी ताल ठोक रही है. हालांकि लगातार समाजवादी पार्टी इस चुनाव में शासन सत्ता के दुरुपयोग का भी आरोप लगा रही है. लेकिन बीजेपी भी समाजवादी पार्टी को 2015 की याद दिला रही है. अब इंतजार 3 जुलाई का है जब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाएंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित हो जाएंगे.


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