समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के खिलाफ अभ्यर्थियों के आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी है. आंदोलन को योगी बनाम प्रतियोगी बताते हुए अखिलेश ने पूछा है कि क्या अब छात्रों के लॉज या हॉस्टल पर सरकार बुलडोजर चलाएगी?
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने कहा- ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हुआ माहौल! आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर जो बात है वो है: ‘नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं’! उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा ‘नौकरी’ नहीं जिनका एजेंडा! नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार!! भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है!!! ‘अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए!!!
सपा चीफ ने लिखा- भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें. सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है. भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है.
कन्नौज सांसद ने लिखा- यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं. नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं. अब तो ह्वाट्सऐप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है. अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आनेवाले नहीं और बाँटनेवाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकार के ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं. अब कोई भाजपाइयों का मानसिक ग़ुलाम बनने को तैयार नहीं हैं.
अखिलेश ने लिखा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला. भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है. भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है. जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी.
पूर्व सीएम ने लिखा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी. भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोज़र चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता. आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं. आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करनेवाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’. क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं. जिस समय छात्रों की आवाज़ में आवाज़ मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता का मलाई. नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है.