नई दिल्ली, एबीपी गंगा। आरक्षण के मुद्दे पर सोमवार को संसद में माहौर गर्म रहा। कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुये कहा केंद्र सरकार संविधान से आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रच रही है। वहीं सरकार ने कांग्रेस को घेरते हुये कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं करनी चाहिये। सरकार ने कहा कि सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री इस मामले पर जवाब देंगे।


लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद एससी-एसटी के सात भेदभाव होता रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार उनके अधिकार को छीन रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने एससी और एसटी के आंकड़े जमा करने के निर्देश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोई भी राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं चिराग पासवान
लोकसभा में लोजपा अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है, जिसमें कहा गया है कि नौकरियों और प्रमोशन के लिए आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। हम केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं। चिराग पासवान ने कहा कि महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बीच पूना पैक्ट का ही परिणाम है कि आरक्षण एक संवैधानिक अधिकार है। आरक्षण खैरात नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है।


भाजपा खत्म करना चाहती है आरक्षण: प्रियंका


आरक्षण को लेकर कांग्रेस महासचिव ने भाजपा पर निशाना साधते हुये ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट करते हुये लिखा कि ''आरएसएस वाले लगातार आरक्षण के खिलाफ बयान देते हैं। उत्तराखंड की भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील डालती है कि आरक्षण के मौलिक अधिकार को खत्म किया जाए।


उत्तर प्रदेश सरकार भी तुरंत आरक्षण के नियमों से छेड़छाड़ शुरू कर देती है। भाजपा ने पहले दलित आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ बने कानून को कमजोर करने की कोशिश की। अब संविधान और बाबासाहेब द्वारा दिए बराबरी के अधिकार को कमजोर कर रही है''।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण


अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। यह अब तक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। उन्होंने कहा कि वंचित वर्गों के अधिकारों पर इससे भयानक कुठाराघात होगा।