यूपी: कृषि बिल के खिलाफ लामबंद हुए किसान, देशभर में प्रदर्शन, लखनऊ में सड़क जाम का ऐलान
राजधानी लखनऊ में भी किसान जगह-जगह पर इसका विरोध करेंगे. किसानों ने लखनऊ से जुड़ने वाले अलग-अलग राजमार्गों को जाम कर अपना विरोध दर्ज कराने का फैसला किया है.
लखनऊ. संसद में पारित कृषि बिलों के खिलाफ देशभर के किसान लामबंद हो गए हैं. किसानों ने आज इस बिल के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन का ऐलान किया है. बिल का विरोध सबसे ज्यादा हरियाणा, पंजाब में देखा जा रहा है. वहीं, आज यूपी में भी इसको लेकर प्रदर्शन होंगे. राजधानी लखनऊ में भी किसान जगह-जगह पर इसका विरोध करेंगे. किसानों ने लखनऊ से जुड़ने वाले अलग-अलग राजमार्गों को जाम कर अपना विरोध दर्ज कराने का फैसला किया है.
किसान लखनऊ-गोरखपुर, लखनऊ-कानपुर और लखनऊ-सीतापुर रोड पर किसान सड़क जाम कर प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा पश्चिमी यूपी में भी किसानों प्रदर्शन करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी विरोध-प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं.
मायावती ने खड़े किए सवाल बसपा सुप्रीमो मायावती किसान बिलों को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, "बीएसपी ने यूपी में अपनी सरकार के दौरान कृषि से जुड़े अनेकों मामलों में किसानों की कई पंचायतें बुलाकर उनसे समुचित विचार-विमर्श करने के बाद ही उनके हितों में फैसले लिए थे. यदि केन्द्र सरकार भी किसानों को विश्वास में लेकर ही निर्णय लेती तो यह बेहतर होता."
जैसाकि विदित है कि बीएसपी ने यूपी में अपनी सरकार के दौरान कृषि से जुड़े अनेकों मामलों में किसानों की कई पंचायतें बुलाकर उनसे समुचित विचार-विमर्श करने के बाद ही उनके हितों में फैसले लिए थे। यदि केन्द्र सरकार भी किसानों को विश्वास में लेकर ही निर्णय लेती तो यह बेहतर होता।
— Mayawati (@Mayawati) September 24, 2020
अपनी ही जमीन पर मजदूर बन जाएगा किसान : अखिलेश वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसको लेकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी करने वाला जो कृषि विधेयक भारत सरकार लाई है, उससे किसान अपनी जमीन का मालिक न रहकर मजदूर हो जाएगा. कृषि उत्पादन मण्डी की समाप्ति और विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित न होने से किसान अब औनेपौने दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होगा. गेहूं, धान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाये जाने से किसान को बड़े आढ़तियों और व्यापारिक घरानों की शर्तों पर अपनी फसल बेचना मजबूरी होगी. समाजवादी पार्टी किसानों की आवाज दबने नहीं देगी.
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