Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है, लेकिन इसे लेकर अब भारत में भी सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने तालिबान का समर्थन करते हुए कहा कि उसके बारे में राय बनाने में जल्दबाजी की जा रही है. राणा ने कहा कि 20 साल में कई देशों की फ़ौजों ने तालिबानियों पर बम बरसाए हैं, आज जो हो रहा है वो बदले की कार्रवाई है. अफगानिस्तान में वही लोग भाग रहे हैं जो अफगान हुकूमत के ख़ास करीबी हैं.


शायर मुनव्वर राणा ने कहा कि तालिबान ने किसी भी भारतीयों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. साउदी अरब में भी इस्लामिक कानून है. उन्होंने कहा कि जब किसी भी देश में बहुत सारे लोग शासन का कर लेते हैं तो दुनिया से उस देश का डर खत्म हो जाता है. अफगानिस्तान में भी यही हुआ है.


भारत का 3 अरब डॉलर का निवेश संकट में है


बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद भारत का 3 अरब डॉलर का निवेश संकट में है. काबुल में भारत का दूतावास खाली हो चुका है, सभी राजनयिक लौट चुके हैं. दोनों देशों के बीच कारोबार भी ठप है.


अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. तालिबान के राज में अपने भविष्य को लेकर आशंकित अफगानी नागरिक जल्द से जल्द यहां से निकलना चाह रहे हैं. राजधानी काबुल स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट से रोजाना कई भयावह और दिल को दहलाने वाली तस्वीर और वीडियो सामने आ रहे हैं. कहीं हजारों की संख्या में लोग एयरपोर्ट पर बेतहाशा भागते नजर आ रहे हैं.


1.4 करोड़ लोगों के सामने भुखमरी की गंभीर समस्या


वहीं अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा है कि देश में तालिबान के कब्जे के बाद वहां एक मानवीय संकट उत्पन्न हो रहा है, जिसमें 1.4 करोड़ लोगों के सामने भुखमरी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. अफगानिस्तान के संघर्ष, तीन सालों में देश के सबसे बुरे सूखे ने और कोविड महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव ने पहले से ही विकट स्थिति को तबाही की ओर धकेल दिया है. यहां 40 फीसदी से ज्यादा फसलें नष्ट हो गई हैं और सूखे से पशुधन तबाह हो गया है. तालिबान के आगे बढ़ने के साथ-साथ सैकड़ों-हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और सर्दियां भी आने वाली है.


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