शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की निशानी पर मंडरा रहा संकट, सोमा घोष ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई
शहनाई का जिक्र आते ही एक नाम जुबान पर आता है, वह है उस्ताद बिस्मिल्लाह खां. काशी और बिस्मिल्लाह खां एक दूसरे के बिना पूरे नहीं होते. इस बीच शहनाई सम्राट की निशानियों पर संकट मंडरा रहा है. पढ़ें ये रिपोर्ट.
वाराणसी. शहनाई के जादूगर की आखिरी निशानी पर संकट मंडरा रहा है. उस्ताद की दत्तक पुत्री कही जाने वाली पद्मश्री सोमा घोष ने वाराणसी जिलाधिकारी से उस्ताद की निशानी को बचाने की मांग की है.
उस्ताद की संपत्ति विवादों में उस्ताद के घर को तोड़ा जा रहा है. सोमा घोष ने आरोप लगाए हैं कि खां साहब के पौत्र ने उनका सामान फेंक दिया है, जिसे दूसरे लड़कों ने एकत्रित किया है. इसके साथ ही उस कमरे को भी तोड़ा जा रहा है जिसमे उन्होंने वक्त गुजारा था. भारत रत्न के बेटे मेहताब के नाम पर घर है और मेहताब के बच्चे अपने दादा का कमरा तोड़ने पर आमादा हैं. सोमा घोष की माने तो भारत रत्न का कमरा धरोहर है न कि किसी एक का, लिहाजा इसे संरक्षित किया जाय.
हड़हा सराय में है घर
वो जगह जहां स्वर्गीय बिस्मिल्लाह खान ने अपना आखिरी वक्त गुजारा वो जगह जहां शहनाई का रियाज करके पूरी दुनियां को काशी की धुन से सराबोर कर दिया. कहते थे कि उस्ताद को बहुत मौके मिले लेकिन फकीरी में विश्वास रखने वाले खां साहब इसी घर और कमरे से अपना लगाव रखते थे, जिस पर आज संकट के काले बादल मंडरा रहे हैं.
पहले भी खां साहब की चीजों को लेकर हो चुका है आपसी विवाद खां साहब को काशी अपनी धरोहर जरूर मानती है लेकिन उनके परिवार में विवाद कोई नया नहीं है पहले भी उनकी शहनाई चोरी हो चुकी है और उसके बाद परिवार के कई विवाद सामने आए अब एक और विवाद सामने आया है. अब देखना ये होगा कि वाराणसी के जिलाधिकारी इस पूरे मामलों को लेकर आगे क्या कदम उठाते हैं.
खां साहब की स्मृतियों पर किसकी नजर खबर है कि खां साहब के मकान और स्मृतियों पर कई निगाहें लगी हैं. बातें तो यहां तक सामने आ रही हैं कि किसी बिल्डर के हस्तक्षेप से खां साहब का मकान तोड़ा जा रहा है. अब जिलाधिकारी और प्रशासन इस पर क्या करता है ये देखने वाली बात होगी.
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